दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष लवली थे भाजपा नेताओं के संपर्क में, इसीलिए नहीं सुन रहा था हाईकमान
नई दिल्ली.
दिल्ली कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली क्या भाजपा नेताओं के संपर्क में थे। क्या उनका भारतीय जनता पार्टी में जाना और फिर बाद में कांग्रेस ज्वाइन करना कांग्रेस में बड़ी चुनौती बन गया था। सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को इस बात की आशंका बनी हुई थी कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लवली भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं के संपर्क में हैं। हालांकि यह संपर्क सियासी तौर पर है या महज औपचारिकता वाला यह तो नहीं खुलासा हुआ है।
लेकिन दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की हो रही है कि अरविंदर लवली पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने तो लवली के इस्तीफे के बाद दिल्ली पूर्व से प्रत्याशी के बदलने का भी ट्वीट कर दिया। दिल्ली कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली के दोबारा कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद से राजधानी की सियासी पिच पर सही शॉट खेलने को नहीं मिल रहे थे। इसके पीछे अरविंदर सिंह लवली खुद पार्टी के कुछ नेताओं पर आप भी लगा रहे हैं। जबकि पार्टी से जुड़े सूत्रों की माने तो चर्चा इस बात की भी हो रही थी कि अरविंदर सिंह लवली भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं के संपर्क में हैं। सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की हो रही है कि लवली एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। हालांकि इसकी अभी अधिकारी तौर पर तो पुष्टि नहीं हुई है लेकिन दिल्ली के सियासी गलियारों में लवली को दिल्ली पूर्व से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाएं खूब जोरों पर हैं।
दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने भी अरविंद लवली के भाजपा में जाने का इशारा किया है। भारद्वाज ने तो ट्वीट करते हुए दिल्ली पूर्व से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बदलने तक का जिक्र कर दिया। सौरभ भारद्वाज के इस ट्वीट के बाद सियासी तौर पर दिल्ली की राजनीति में और उबाल आ गया है। सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि लवली कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। क्योंकि वह पहले भी भाजपा में रहे हैं इसलिए उनका भातीय जनता पार्टी के नेताओं से संपर्क भी है। अरविंदर सिंह लवली ने अपने इस्तीफे में इस बात का जिक्र भी किया है कि उनको संगठन के भीतर नियुक्तियों से लेकर कई काम तक नहीं करने दिए जा रहे थे। सियासी जानकारो का कहना है कि इस्तीफे में जिस तरीके से लवली ने भाषा शैली का इस्तेमाल किया है वह बताता है कि उनके रास्ते जल्द ही अलग हो सकते हैं।