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मध्यप्रदेश के बाघों की बढ़ी मांग, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के जंगलों में ट्रांसलोकेशन शुरू

भोपाल 

टाइगर स्टेट का गौरव हासिल कर चुके मध्यप्रदेश के बाघ अब पड़ोसी राज्यों के जंगलों की शोभा बढ़ाएंगे। बांधवगढ़, कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से बाघों का ट्रांसलोकेशन राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में किया जाएगा। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) के निर्देश पर इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। खर्च संबंधित राज्य उठाएंगे।

कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) के क्षेत्र संचालक रविंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि कान्हा से से दो बाघों का ट्रांसलोकेशन होना है। अन्य नेशनल पार्क से भी बाघ भेजे जाएंगे। इसकी तैयारियां शुरू की जा रही है। कान्हा के बाघ कहां भेजे जाएंगे यह आने वाले एक दो दिन में तय हो जाएगा।

अक्टूबर में होगा प्रशिक्षण

बाघों के नए ठिकाने वाले टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को अक्टूबर में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें बाघों की देखभाल, ट्रैकिंग और संरक्षण की जानकारी दी जाएगी। इसके बाद बाघों को सीसीटीवी युक्त विशेष ट्रक से भेजा जाएगा। ट्रक के साथ पशु चिकित्सक और अन्य विशेषज्ञ भी रहेंगे। रास्ते में भोजन, पानी और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था रहेगी।

छत्तीसगढ़ को सबसे ज्यादा बाघ

मप्र से राजस्थान को 3 छत्तीसगढ़ को 4 और ओडिशा को 3 बाघ भेजे जाएंगे। इनमें नर-मादा की जोड़ियां भी शामिल हैं। वर्तमान में मप्र में 785 बाघ हैं। संख्या के लिहाज से यह देश का सबसे बड़ा टाइगर स्टेट है। बाघों की बढ़ती संख्या से टेरेटरी को लेकर आपसी संघर्ष बढ़ रहे हैं।

मप्र के अलग-अलग टाइगर रिजर्व से कम घनत्व वाले क्षेत्रों में बाघों को भेजा जाएगा। कान्हा से ट्रांसलोकेशन के लिए दो बाघ तैयार रखने को कहा गया है। वे कहां जाएंगे, यह दो दिन बाद तय होगा।- रविंद्रमणि त्रिपाठी, क्षेत्र संचालक, कान्हा टाइगर रिजर्व

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