प्रधान हिरासत में: उपप्रधान की आकस्मिक मौत
टीम एक्शन इंडिया/ गोहर/सुभाग सचदेवा
मेले हमारी सभ्य संस्कृति की प्रतीक है मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। मेलों से हम एक दूसरे की संस्कृति को नैतिक मूल्यों को समझते हैं नैतिक मूल्यों की इज्जत करते हैं। मगर लगता है जिला स्तरीय मेला नलवाड़ ख्योड़ जिसका आयोजन कई दशकों से पंचायत अपने स्तर पर करवाती आ रही है इस मर्तबा उप प्रधान दीवान चंद गुप्ता की आकस्मिक मौत व प्रधान ग्राम पंचायत बासा के हिरासत में जाना मेला शुरू होने से पहले मेला में आए व्यापारी की संदिग्ध अवस्था में मौत होना बावजूद इसके मेला कमेटी द्वारा मेला आयोजन के अवसर पर बैंड़ बाजे संग भव्य जलेब निकालना कहां तक उचित है। जिस संस्था के मुखिया की मौत हुई है अभी चिता की आग ठंडी न हुई हो उस संस्था के सदस्य किस मूंह से भव्य जलेब का हिस्सा बने होंगे। इतनी दुखद घटनाओं के बावजूद मेला नलवाड़ ख्योड़ की बाजे.गाजे संग जलेब निकालना कई सवालों को खड़े कर गया है।
क्या मेला कमेटी इतनी संवेदनहीन हो गई है कि उन्हें किसी के दुख दर्द का एहसास ही नहीं क्या मेला कमेटी पर राजनीति इस तरह से हावी हो गई कि जिस व्यक्ति ने पिछले कई दशकों से मेला को सींचने के लिए अपना खून पसीना एक कर दिया है अभी तक दीवान चंद गुप्ता की चिता भी ठंडी नहीं हुई ऐसे शख्स की कुबार्नी को दरकिनार कर मेला कमेटी बैंड़ बजे के साथ भव्य जलेब निकल रही है। आज स्थानीय लोगों के साथ.साथ बाहरी राज्यों से आए व्यापारी भी यह देख शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं कि एक तरफ स्थानीय पंचायत का उपप्रधान जिसका 11 सितंबर को आक्समिक निधन हुआ है, प्रधान पुलिस हिरासत में है एक व्यापारी की मेला स्थल पर संदिग्ध मौत हुई है।मेला कमेटी ने किस राजनीतिक दबाव में जलेब निकाली।
लोगों का मानना है मेले का शुभारंभ सादगी के साथ भी किया जा सकता था मगर संवेदनहीनता के चलते न तो नेताओं ने इस पर विचार किया न ही मेला कमेटी जिसमें उपमंडल गोहर के सभी प्रशासनिक अधिकारियों का जमावड़ा है उन्होंने ने भी इस संवेदनशील मुद्दे को अहमियत नहीं दी। न ही पंचायत सदस्यों ने इतना सोचा के हमारे परिवार का एक सदस्य दुनिया से रुखसत हो गया है और पंचायत का मुखिया जेल में हैं हमें मेले का शुभारंभ सादगीपूर्ण ढंग से करना है न कि बाजे-गाजे के साथ।