एनएच कि बदहाली सें परेशान रहवासी उतरे सड़क पर

जशपुर(छत्तीसगढ़ )।एएनएन (Action News Network)
जशपुर जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग 43 की बदहाली के लिए जिम्मेदार ठेकेदार, अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग व सड़क पर त्वरित कार्य की मांग को लेकर प्रभावित क्षेत्र के रहवासी लामबंद हो कर आज फिर से विरोध प्रर्दशन कर रहे हैं।रहवासियों कि मानें तो समस्या के निराकरण के लिए अब सब्र का बांध टूट गया है।जनप्रतिनिधियो, समाजिक कार्यकर्ता, स्थानीय नागरिकों सहित ग्रामीणों ने जर्जर सड़क को लेकर पहले प्रशासन को ज्ञापन सौंप चक्का जाम की चेतावनी दी थीं।
समस्या का कोई हल सामने नहीं आने पर अंतत: लोगों ने राजमार्ग में आंदोलन प्रारंभ करतें हुए , चक्काजाम कर मामले में कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। आंदोलन में शामिल रहवासियों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग की जर्जर अवस्था ने हमारे क्षेत्र को फिर से आजादी के पहले वाली स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। राजमार्ग की स्थिति यह है कि आजादी से पहले कम से कम ऐसी स्थिति नहीं थी और लोग पैदल सफर कर लेते थे। लेकिन अब राजमार्ग में लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो गया है। वाहनों की स्थिति यह है कि सफर में कई बिमारियों का जन्म हो रहा है। गड्डों में शरीर के कई हिस्से प्रभावित हो रहे हैं । कई बिमारियों से लोग परेशान हैं।
अगर सूखा मौसम हो तो धूल से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अक्सर दुर्घटनाओ में आकड़ो में बढोतरी सें सही समय पर गंत्वय तक वाहन नहीं पहुंच रहे हैं ।इसके अलावा पूरा बाजार, शिक्षाा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाएं प्रभावित हो रही है। लोग ठेकेदार, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग करते हुए समस्या के त्वरित निराकरण की मांग कर रहे हैं।आंदोलन को दबानें का लगा प्रशासन पर आरोप-करीब तीन वर्ष सें अधिक समय से आवागमन की एकमात्र सड़क नेशनल हाईवे 43 बनाने के लिए संबंधित ठेकेदार द्वारा लापरवाही बरतते हुए एवं नियमों की धज्जियां उड़ाई गई है।
वहीं अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया से परेशान होकर क्षेत्र के ग्रामीणों ने आंदोलन व चक्का जाम करने के लिए तहसीलदार कांसाबेल एवं एसडीएम बगीचा को चक्काजाम और आर्थिक नाकेबंदी के ज्ञापन सौंपा गया। आंदोलन को दबाने की रणनीति में प्रशासन द्वारा प्रयास किया गया। उल्लेखनीय है कि डेढ़ वर्ष पहले विद्युत की ढुलमुल रवैया को देखते हुए चक्काजाम किया गया था उस प्रकरण को पुलिस के द्वारा अभी जिंदा कर आंदोलनकारियों को धमकाने के हिसाब से नोटिस जारी कर पुलिस थाना कांसाबेल में उपस्थित होने कहा गया था।
इसी दौरान कांसाबेल के ग्रामीणों के द्वारा जितने आंदोलनकारी कांसाबेल थाना पहुंचे थे लेकिन थाना में उस नोटिस का जवाब देने के लिए कोई जवाबदार अधिकारी थे ना ही उन आंदोलनकारियों को सुनने वाले कोई कर्मचारी। सभी आंदोलनकारी अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर बैरंग वापस आ गए हैं। वहीं ग्रामीणों में डेढ़ वर्ष पुराने मामले को अभी जब आंदोलन की आवेदन देने के बाद में थाना के द्वारा नोटिस तलब किए जाने से भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि जब चक्का जाम करने में अगर हम दोषी थे तो उक्त मामले में पहले नोटिस या कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी । जब हमने अभी चक्का जाम करने के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपे, तब ही नोटिस क्यों जारी किया गया। लेकिन ग्रामीणों की इस बात का जवाब देने के लिए पुलिस थाना कांसाबेल में कोई मौजूद नहीं, अब देखना यह है कि प्रशासन आंदोलनकारियों को क्या आश्वासन देती है और क्या कार्रवाई करती।