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मेडिकल कॉलेजों में सीधे डीन की भर्ती होने से चरमराएगी कॉलजों की व्यवस्थाएं!

भोपाल

मेडिकल कॉलजों में डीन की नियुक्ति की प्रक्रिया में देश में मध्यप्रदेश इकलौता ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां डीन की नियुक्ति सीधी भर्ती प्रक्रिया से होने जा रही है। प्रदेश के 18 मेडिकल कॉलेजों में डीन के पद के लिए आवेदन देने की आज अंतिम तिथि है। स्वास्थ्य विभाग मार्च के महीने में कभी भी साक्षात्कार करा सकता है।

मेडिकल कॉलेज से जुड़े सागर और इंदौर के लोगों ने इस मामले में आपत्ति लेते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। स्वास्थ्य विभाग भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है या विराम लगाता है इस पर अधिकारी कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं। मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है कि सीधी भर्ती प्रक्रिया में निजी मेडिकल कॉलेज के लोग भी बड़ी संख्या में आवेदन करेंगे। निजी मेडिकल कॉलेज से जुड़े किसी व्यक्ति की शासकीय मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति होती है तो अनुभव के अभाव में भविष्य में कॉलेज की व्यवस्थाएं बेहतर होने की बजाए चरमरा सकती है, क्योंकि निजी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसरों के पास अनुभव की कमी होती है। ऐसे लोगों के पास प्रशासन, बजट और दवा खरीदी का कोई अनुभव नहीं होता हैं। शासकीय मेडिकल कॉलेज में रहते हुए एक प्रोफेसर विषय का ज्ञाता होने के साथ प्रशासनिक और आर्थिक मामलों का अच्छा-खासा जानकार हो जाता है।

दवा खरीदी और कानून का नहीं होगा अनुभव
सीधी डीन भर्ती प्रक्रिया मामले में निजी मेडिकल कॉलजों के लोगों के आने की प्रबल संभावना है। निजी मेडिकल कॉलेजों से अगर आधा दर्जन के करीब भी लोग डीन बनते है तो उनके पास दवा खरीदी और कोर्ट के नियमों की कोई विशेष जानकारी नहीं होगी। क्योंकि निजी मेडिकल कॉलेज में प्रबंधन और कोर्ट के ज्यादातर मामलों में प्रोफसर्स की बजाए प्रबंधन का हस्तक्षेप रहता है।
 
 मेडिकल कॉलेजों में डीन की नियुक्ति प्रमोशन के जरिए होती थी। देश में पहली बार इस तरह का अनूठा प्रयोग मध्यप्रदेश में हो रहा है। राज्य सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करके भर्ती प्रक्रिया को रदद करना चाहिए। भर्ती प्रक्रिया में सभी वर्गो के हित को ध्यान में रखते हुए सभी वर्गो के लिए सीट आरक्षित होना चाहिए।
डॉ. राकेश मालवीय, सचिव, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन

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