DUTA Election: डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा डूटा चुनाव के लिए अलायंस के अध्यक्ष उम्मीदवार घोषित
नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) चुनाव की तारीख नजदीक आते ही रणनीति बननी शुरू हो गई है. शनिवार को डूटा चुनाव को लेकर संघ की विचारधारा वाले एनडीटीएफ के मुकाबले के लिए विभिन्न लोकतांत्रिक और प्रगतिशील शिक्षक संगठनों ने डेमोक्रेटिक यूनाइटेड टीचर्स अलायंस बनाया है. इस अलायंस ने डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए सर्वसमिति से डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है. मालूम हो कि 27 सितंबर को डीयू में डूटा का चुनाव होना है.
एनडीटीएफ से मुकाबला के लिए यह आए साथ
डूटा चुनाव में संघ की विचारधारा वाले एनडीटीएफ से मुकाबला करने के लिए डीयू में कार्यरत शिक्षक संगठनों डीटीएफ, एएडीटीए, इंटेक, सीटीएफ (कॉमन टीचर्स फ्रंट, डीटीआई (दिल्ली टीचर्स इनिशिएटिव), आईटीएफ-एसजे (सामाजिक न्याय के लिए स्वतंत्र शिक्षक मोर्चा), एसएसएम (समाजवादी शिक्षक मंच), वॉयस ऑफ डीयू एडहॉक सनोज कुमार, माया जॉन, एएडीटीए ने मिलकर डेमोक्रेटिक यूनाइटेड टीचर्स अलायंस बनाया है.
कौन हैं आदित्य नारायण मिश्रा
डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार के रूप में डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा का नाम घोषित किया गया है. संयुक्त प्रत्याशी घोषित किए गए डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा शिक्षक राजनीति का जाना माना नाम है. वह वर्तमान में आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन एएडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी हैं. तीन बार डूटा के अध्यक्ष रह चुके हैं, दो बार सारे केंद्रीय विश्वविद्यलायों के शिक्षकों के संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके साथ ही डूटा के सचिव, डीयू ईसी और एसी के सदस्य भी रहें हैं.
डूटा चुनाव से पहले शिक्षक संगठनों के बीच इस अलायंस के होने और डॉ.आदित्य नारायण के मैदान में आने से एनडीटीएफ की मुश्किल बढ़ गई है. डूटा नाम से बनाए गए इस अलायंस का दावा है कि 27 सितंबर को होने वाले चुनाव में शिक्षकों और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए 10,000 से अधिक दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने सामूहिक नेतृत्व का चुनाव करेंगे. हम सभी शिक्षकों की गरिमा और सुरक्षा की रक्षा के लिए यहां एक साथ आए हैं. हम पुरानी पेंशन योजना की बहाली को आगे बढ़ाएंगे. हम प्रोफेसरशिप और एसोसिएट के पदोन्नति के हर चरण में पिछली सेवाओं की गिनती के लड़ेंगे जिनको छोड़ दिया गया है. हमें हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा बजटीय आवंटन में कटौती के कारण उपजी वेतन और पेंशन भुगतान की समस्या का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना होगा.