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हरियाणा में कारोबार हुआ और आसान: सरकार ने लागू किए 9 बड़े सुधार

13 सुधारों पर काम जारी, निवेश और रोजगार दोनों को रफ्तार देने की कोशिश
 
नई दिल्ली 

हरियाणा सरकार ने कारोबार शुरू करने और चलाने की प्रक्रिया को आसान बनाते हुए उद्योगों और निवेशकों के लिए माहौल और बेहतर कर दिया है। राज्य सरकार ने अपने विनियमन-मुक्ति अभियान के तहत 9 बड़े सुधार लागू कर दिए हैं, जबकि 13 और सुधारों पर तेजी से काम चल रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि साल के अंत तक सभी 23 सुधार पूरे कर लिए जाएं, ताकि राज्य में नए उद्योग लगें, निवेश बढ़े और युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलें।

केंद्र सरकार के औद्योगिक और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की हाल की रिपोर्ट में हरियाणा को सुधारों के क्रियान्वयन और अनुपालन के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल किया गया है। इन सुधारों की प्रगति की समीक्षा के लिए बुधवार को चंडीगढ़ में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।

कैबिनेट सचिवालय के विशेष सचिव केके पाठक और हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। बैठक में गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष विनीत गर्ग, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह और उद्योग विभाग के सचिव डॉ. अमित कुमार अग्रवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

कागज़ी झंझट कम, मंजूरी में तेजी
अब हरियाणा में उद्योग लगाने के लिए पहले जैसी लंबी कागज़ी प्रक्रिया नहीं रहेगी। भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की प्रक्रिया को काफी आसान बना दिया गया है। पहले जहां 19 दस्तावेज़ जमा करने पड़ते थे, अब सिर्फ तीन जरूरी कागज़ -स्वामित्व प्रमाण, परियोजना रिपोर्ट और क्षतिपूर्ति बांड ही पर्याप्त होंगे। इसी तरह, मंज़ूरी मिलने में पहले औसतन एक से डेढ़ महीना लगता था, जो अब घटकर लगभग 36 दिन रह गया है। नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने मिश्रित उपयोग विकास की अनुमति देकर ज़ोनिंग को भी लचीला बना दिया है। यानी अब एक ही इलाके में रिहायश, दुकानदारी और छोटे उद्योग एक साथ चल सकेंगे। इससे व्यापारियों और स्थानीय निवासियों दोनों को फायदा होगा।

निवेशकों के लिए एक ही मंच
हरियाणा ने अपने सभी उद्योग संबंधित अनुमतियों, लाइसेंसों और प्रोत्साहन योजनाओं को एक ही ऑनलाइन मंच पर जोड़ दिया है। अब किसी उद्यमी को अलग-अलग विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सारी मंज़ूरियां एक ही स्थान पर ऑनलाइन मिल जाएंगी। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा ने केंद्र सरकार के जन विश्वास अधिनियम के अनुरूप अपना ढांचा भी लागू किया है। इसके तहत छोटे व्यापारिक उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाकर दंडनीय गलती की श्रेणी में रखा गया है, ताकि उद्यमियों पर अनावश्यक कानूनी बोझ न पड़े और वे बिना डर के कारोबार कर सकें।

नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी महिलाएं
श्रम विभाग ने भी कई अहम सुधार किए हैं। अब महिलाएं सभी क्षेत्रों में रात की पाली (शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक) में काम कर सकेंगी। चाहे फैक्टरी हो या दुकान। साथ ही, फैक्टरी बंद करने और कर्मचारियों की छंटनी जैसी प्रक्रियाओं को भी सरल बनाया गया है। इन कदमों से उद्योगों को कामकाज में ज्यादा सुविधा मिलेगी और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

प्रदूषण नियंत्रण की प्रक्रिया भी हुई सरल
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी उद्योगों के लिए मंज़ूरी प्रक्रिया में तेजी लाई है। अब स्थापना की अनुमति (सीटीई) और संचालन की अनुमति (सीटीओ) सिर्फ 21 दिनों में मिल जाएगी, जबकि पहले इसमें 30 दिन तक लगते थे। हरित श्रेणी (ग्रीन कैटेगरी) के उद्योगों को अब 15 साल तक स्वचालित नवीनीकरण की सुविधा दी गई है। इसके अलावा, 734 गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को श्वेत श्रेणी (व्हाइट कैटेगरी) में रखा गया है, जिन्हें अब नियमित निरीक्षणों से छूट मिलेगी। सरकार ने स्व-प्रमाणन (सेल्फ सर्टिफिकेशन) और तीसरे पक्ष द्वारा सत्यापन की व्यवस्था भी शुरू की है, जिससे कामकाज अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगा।

उद्योगों और आईटी पार्कों को राहत
राज्य सरकार ने हरियाणा भवन संहिता में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की है। इसमें डेटा केंद्रों और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पार्कों के लिए भूमि उपयोग के नियमों को आसान करने, निर्माण क्षेत्र अनुपात (एफएआर) बढ़ाने और सेटबैक दूरी कम करने का प्रस्ताव है। इससे तकनीकी उद्योगों और बड़े औद्योगिक परिसरों को फायदा मिलेगा। सरकार ने अनुमतियों और शिकायत निवारण के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चैटबॉट शुरू किया है। अब निवेशक अपने आवेदन की स्थिति या किसी समस्या का समाधान ऑनलाइन देख सकेंगे, जिससे कारोबार में पारदर्शिता और विश्वास दोनों बढ़ेगा।

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