
बंगाल में रवींद्र संगीत की जगह धमाकों की गूंज: शाह
टीम एक्शन इंडिया/कोलकाता
अमित शाह ने आज कोलकाता के विक्टोरिया हाउस के सामने एक रैली की। उन्होंने कहा- जिस बंगाल में कभी सुबह-सुबह रवीन्द्र संगीत सुनाई पड़ता था, आज वही बंगाल बम धमाकों से गूंज रहा है। पूरे देश में सबसे ज्यादा चुनावी हिंसा बंगाल में होती है। वो बंगाल में घुसपैठ को रोक नहीं पा रही है। कभी ममता बनर्जी घुसपैठ के मुद्दे पर संसद पार्लियामेंट चलने नहीं देती थीं, आज खुलेआम घुसपैठियों को वोटर कार्ड और आधार कार्ड बंट रहे हैं और ममता बनर्जी चुप बैठी हैं। जिस राज्य में इतनी घुसपैठ होती हो वहां विकास कैसे हो सकता है, इसीलिए ममता बनर्जी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रही हैं। आज मैं कहकर जाता हूं कि उअअ इस देश का कानून है और हम इसे लागू करके रहेंगे। जो वहां से आए हैं वो सभी हिंदू भाइयों बहनों का इस देश पर उतना ही अधिकार है, जितना आपका और हमारा है, उनका अधिकार कोई नहीं छीन सकता।
बंगाल सरकार ने रैली की इजाजत नहीं दी थी: ममता बनर्जी की सरकार ने अमित शाह की इस रैली को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद प्रदेश भाजपा ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट की सिंगल बेंच ने रैली की अनुमति दे दी थी। राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ बड़ी बेंच के पास पहुंची थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस सिवागनानम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। बड़ी बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से सभा की इजाजत ना देने का कारण पूछा था। राज्य सरकार के वकील ने बताया कि विक्टोरिया हाउस कोलकाता शहर का केंद्र है। यहां सभा होगी तो शहर ठप्प हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को छोड़कर वहां कोई सभा नहीं होती है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि 21 जुलाई को ऐसा क्या खास होता है कि इस दिन को छोड़कर वहां कोई सभा नहीं हो सकती। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि इस मामले को लेकर बेवजह समस्या खड़ी की जा रही है।
कोलकाता में कई ऐसी सभाएं और रैलियां हुई हैं, जिनकी इजाजत नहीं थी। इन रैलियों की वजह से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई थी और पुलिस भी उसे नियंत्रित नहीं कर पाई थी। इसी के साथ कोर्ट ने ममता सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और भाजपा की 29 नवम्बर को होने वाली सभा को इजाजत दे दी। कोर्ट के इस फैसले को बीजेपी ने ममता सरकार के मुंह पर तमाचा बताया था।