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विभाग में नवाचार,पारदर्शिता और सामूहिकता से बढ़ेगी कार्यक्षमता : मंत्री सिंह

लोक निर्माण से लोक कल्याण

नवाचार हमारी ताकत, पारदर्शिता एवं गुणवत्ता के साथ इन्हें लागू करें : मंत्री सिंह
निर्माण क्षेत्र में नवीन तकनीकों पर आधारित कार्यशाला संपन्न

भोपाल

लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह की अध्यक्षता में निर्माण क्षेत्र में नवीन तकनीकों पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन प्रशासनिक अकादमी में किया गया। इस दौरान अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता एमडी एमपीआरडीसी अविनाश लावनिया,एमडी एमपीबीडीसी डॉ पंकज जैन,ईएनसी पीडब्ल्यूडी केपीएस राणा, ईएनसी (भवन) एसआर बघेल एवं ईएनसी भवन विकास निगम अनिल श्रीवास्तव सहित विभाग के अन्य सभी मुख्य अभियंता, वरिष्ठ अधिकारी एवं इंजीनियर उपस्थित रहे।

विभाग में नवाचार,पारदर्शिता और सामूहिकता से बढ़ेगी कार्यक्षमता

 लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विभाग की कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में नवाचार, पारदर्शिता और सामूहिकता की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा “नवाचार हमारी ताकत है हमें नवाचार के साथ समरस होकर कार्य करना चाहिए।”

 मंत्री सिंह ने कहा कि “विकसित प्रदेश से विकसित भारत” की परिकल्पना को साकार करने में इंजीनियर्स की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “हम सभी भाग्यशाली हैं कि हमें ‘लोक निर्माण से लोक कल्याण’ की भावना को मूर्त रूप देने का अवसर मिला है। विभाग को अधिक जनहितैषी बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।” मंत्री सिंह ने विभाग में नए आने वाले इंजीनियर्स को प्रेरित करते हुए कहा कि नई पीढ़ी नवाचारों के माध्यम से विभाग को और अधिक सक्षम बना सकती है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से कहा कि वे हमारे युवा इंजीनियरों की नई सोच को समझें और अगर कोई सुझाव उपयोगी हो तो उसे अपनाएं।

हमारे निर्णय सही होने के साथ सही दिखना भी चाहिए

 निर्माण क्षेत्र में नवीन तकनीक व्हाइट टॉपिंग पर चर्चा के दौरान कुछ इंजीनियर ने सुझाव दिया कि व्हाइट टॉपिंग के लिए सड़कों का चुनाव करते समय परफॉर्मेंस गारंटी की सड़कों को भी सम्मिलित किया जा सकता है क्योंकि व्हाइट टॉपिंग के लिए ऐसी सड़के चाहिए जिनकी बुनियाद या क्रस्ट मजबूत हो। इस बात पर मंत्री सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे निर्णय सही होने के साथ-साथ सही दिखने भी चाहिए। यदि तकनीकी रूप से ऐसा करना आवश्यक है तो इस आशय की सूचना सार्वजनिक रूप से जारी कर इस आवश्यकता को प्रचारित करना बेहतर होगा।

अपने निर्माण कार्य को गर्व के साथ प्रचारित करें

 मंत्री सिंह ने विभाग के अधिकारियों और इंजीनियर्स को प्रेरित करते हुए कहा कि हमें अपने निर्माण कार्यों के प्रति स्वामित्व का भाव रखते हुए पूरी जिम्मेदारी के साथ सामने आना चाहिए और गर्व से कहना चाहिए कि निर्माण हमने किया है। भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। कार्य की पूर्णता और सफलता तब होती है जब उसे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ किया जाए।”

 मंत्री सिंह ने सड़कों और संरचनाओं की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा, “जो संरचनाएं हम बनाते हैं, उन पर पीढ़ियां चलती हैं। हमें गर्व होना चाहिए कि हम ऐसा काम कर रहे हैं जो लंबे समय तक समाज के लिए उपयोगी साबित हो।”

 मंत्री सिंह ने विभागीय कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और संवाद बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “हमारे अच्छे कार्य संवाद के अभाव में जनता तक नहीं पहुँच पाते हैं। हमें अपने कार्यों की जानकारी लोगों तक प्रामाणिकता के साथ पहुंचानी चाहिए।”

मानक निविदा दस्तावेज पर हुई वृहद चर्चा

विभाग में पहली बार ऐसा हुआ कि निविदा दस्तावेज पर इतने व्यापक स्तर और एक बड़े मंच पर गहन चर्चा की गई है। मानक निविदा दस्तावेज में सुधार की संभावनाओं को तलाशने के लिए अन्य राज्यों में प्रचलित निर्माण कार्यों के निविदा दस्तावेजों का गहन अध्ययन किया गया।

मंत्री राकेश सिंह के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग से तीन अध्ययन दल महाराष्ट्र, तेलंगाना और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भेज कर निविदा शर्तों का अध्ययन कराया गया। इन दलों से प्राप्त सुझावों को कार्यशाला में सम्मिलित करते हुए इन पर विस्तार से चर्चा की गई। निविदा पत्र दस्तावेज में प्रस्तावित संशोधनो पर सार्थक चर्चा की गई।

उल्लेखनीय है कि सभी निर्माण विभागों के लिए एक मानक निविदा दस्तावेज वर्ष 2014 में तैयार किया गया था। कालांतर में हुए तकनीकी विकास और नियमों में परिवर्तन के कारण इस दस्तावेज में अनेक सुधारो की गुंजाइश है। आज की आवश्यकताओं के अनुरूप मानक निविदा दस्तावेज को संशोधित कर निर्माण कार्यों को और अधिक पारदर्शी,गुणवत्तापूर्ण एवं अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

  निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुधारने हेतु कार्यशाला में निविदा दस्तावेज में सुधार हेतु अनेक सुझाव प्राप्त हुए जिनमें मुख्य सुझाव इस प्रकार हैं:

        2 करोड़ से अधिक लागत वाली सभी निविदाओं में प्रीक्वालिफिकेशन शर्तें लागू की जाएं पूर्व में यह सीमा 5 करोड़ थी।

        अनुमानित लागत के 20% के बराबर के तीन कार्यों के अनुभव के स्थान पर 40% के तीन कार्यों को रखाजाए।

        निविदाकर्ता के पास उपलब्ध मानव संसाधन और उपकरणों के लिए न्यूनतम शर्ते जोड़ी जाए।

        2 करोड़ से अधिक के सड़क निर्माण कार्यों के लिए निर्माण स्थल पर गुणवत्ता परीक्षण लेब की स्थापना अनिवार्यकी जाए।

        अव्यावहारिक दरें डालकर टेंडर प्राप्त की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए 80 प्रतिशत से कम दरें डालने वाले निविदाकर्ताओ से अंतर की दोगुनी परफॉर्मेंस गारंटी ली जाए। साथ ही बैंक गारंटी के स्थान पर फिक्स्ड डिपॉजिट रिसिप्ट के माध्यम से परफॉर्मेंस सिक्योरिटी ली जाए।

        क्षमता से अधिक कार्यों के ठेके लेने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए बिड कैपेसिटी संबंधी शर्तों को और अधिक प्रभावी बनाया जाए।

        निविदाकर्ता के पास बैच मिक्स प्लांट, डब्लू एम एम मिक्स प्लांट एवं अन्य आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता संबंधी शर्त जोड़ी जाए।

        गुणवत्ता नियंत्रण हेतु समय-समय पर किए जाने वाले परीक्षणों, डामर की गुणवत्ता, आदि से संबंधित शर्तें भी जोड़ी जाए।

 इसी प्रकार कंसलटेंट के चयन हेतु निर्धारित निविदा दस्तावेज पर भी अनेक सुझाव प्राप्त हुए जिसे कंसलटेंट एजेंसी और नियुक्त इंजीनियरिंग स्टॉफ की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

 मंत्री सिंह राकेश सिंह ने इन सभी सुझावों के अनुसार निविदा दस्तावेज में सुधार करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

 मानक निविदा दस्तावेज में सुधार की यह प्रक्रिया न केवल कार्यकुशलता को बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि ठेकेदारों से होने वाले विवादों को भी कम करेगी। प्रस्तावित नए संशोधन यह सुनिश्चित करेंगे कि ठेकेदार गुणवत्ता और समयसीमा का पालन करें, जिससे राज्य में अधोसंरचना परियोजनाओं को मजबूती मिले।

मंत्री सिंह ने निर्माण उपकरण प्रदर्शनी का किया अवलोकन

 नवीन तकनीक पर केंद्रित इस कार्यशाला में विभिन्न उपकरणों सामग्रियों एवं नवाचारों पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी। इस प्रदर्शनी में देश विदेश से आई कंपनियों ने अपने उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। मंत्री राकेश सिंह ने कार्यशाला स्थल पर निर्माण संबंधी उपयोगी नवीन उपकरण, सामग्री आदि की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने नवीनतम तकनीकों और उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया, जो निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाने में सहायक होंगे। प्रदर्शनी में विभिन्न कंपनियों और संगठनों ने अपने उन्नत उपकरण और तकनीकी समाधान प्रदर्शित किए।

लोकपथ मोबाइल ऐप पर भी हुई चर्चा

 कार्यशाला में लोक निर्माण विभाग द्वारा हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से लोकार्पित लोकपथ मोबाइल ऐप पर भी चर्चा की गई। मंत्री राकेश सिंह ने लोकपथ मोबाइल ऐप की सफलता को एक उदाहरण के रूप में लेकर चुनौतियों के प्रति सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही। उल्लेखनीय की लोकपथ मोबाइल ऐप सेवा 2 जुलाई 2024 को मानसून के दौरान प्रारंभ की गई थी। मानसून के दौरान सड़कों पर गड्ढे होने की सबसे ज्यादा शिकायतें प्राप्त होती हैं।

मुख्य अभियंताओं को चार समूहों में बांटकर हुई चर्चा

 निर्माण क्षेत्र में नवीन और पर्यावरण हितैषी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यशाला में चार समूह बनाकर उन पर गहन चर्चा की गई। यह समूह सड़क, पुल एवं भवन निर्माण में नई तकनीक, निर्माण प्रबंधन में नवाचार एवं ऑटोमेशन, तथा पर्यावरण हितेषी तकनीको पर पृथक पृथक चर्चाओं के लिए बनाए गए थे। प्रत्येक समूह ने निर्माण क्षेत्र में प्रचलित नवीनतम तकनीकों और उनके संभावित उपयोग पर गहन चर्चा की। इन चर्चाओं के माध्यम से नवीन तकनीकों के लाभ, चुनौतियाँ और उन्हें लागू करने के विभिन्न उपायों एक ठोस और व्यावहारिक कार्ययोजना की रूपरेखा तैयार की गई।

भोपाल और रायपुर में आयोजित भारतीय सड़क कांग्रेस की बैठकों पर प्रस्तुतीकरण

 भोपाल और रायपुर में आयोजित भारतीय सड़क कांग्रेस की बैठकों में सड़क और पुल निर्माण, रखरखाव, और पर्यावरणीय स्थिरता पर चर्चा की गई। सड़क निर्माण में वाइट टॉपिंग तकनीक, फुल डेप्थ रिक्लेमेशन और हॉट-इन-प्लेस रीसाइक्लिंग तकनीकों का उपयोग कर लागत और समय की बचत की जा सकती है। पर्यावरणीय स्थिरता बढ़ाने के लिए जियो पॉलीमर कंक्रीट एवं वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग, कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी, और फ्लाई ऐश जैसी तकनीक का उपयोग कर सड़क निर्माण को पर्यावरण हितैषी बनाया जा सकता है। इसी प्रकार पुल निर्माण में अल्ट्रा हाई परफॉर्मेंस कंक्रीट और स्ट्रक्चर हेल्थ निगरानी के लिए एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है। इन तकनीकों से संरचनाओं की मजबूती और टिकाऊपन में सुधार हो रहा है। टिकाऊ निर्माण प्रथाओं और नवीन तकनीकों का उपयोग आधारभूत संरचनाओं को अधिक मजबूत, किफायती और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 प्रस्तुतिकरण के माध्यम से यह बताया गया कि नवीन तकनीकों और स्थायी प्रथाओं का समावेश न केवल संरचनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा, बल्कि निर्माण प्रक्रिया को अधिक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल भी बनाएगा।

आईआईएम इंदौर से प्रशिक्षित युवा इंजीनियरों ने कार्यशाला में प्रस्तुत की रिपोर्ट

 कार्यशाला में भवन विकास निगम और लोक निर्माण विभाग के 26 युवा इंजीनियरों ने भाग लिया। इन इंजीनियरों ने हाल ही में भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर से निर्माण प्रबंधन में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया था। कार्यशाला के दौरान, उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान और उसके व्यावहारिक अनुप्रयोग पर आधारित अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस पहल का उद्देश्य उनकी व्यावहारिक समझ को बढ़ाना और विभाग में परियोजना प्रबंधन और क्रियान्वयन में सुधार करना था।

 कार्यशाला में भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर के प्लानिंग एवं एडमिनिस्ट्रेशन डीन, रोहित कपूर ने भी भाग लिया। उन्होंने नवीनतम तकनीकों के व्यावहारिक उपयोग और युवा इंजीनियरों को सशक्त बनाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के साथ सहयोग कर निर्माण कार्यों में गुणवत्ता सुधारने की आवश्यकता पर भी चर्चा की। उनकी भागीदारी ने कार्यशाला को और अधिक प्रभावी बनाते हुए तकनीकी ज्ञान और गुणवत्ता को प्राथमिकता देने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया।

 

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