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एक बगिया मां के नाम: पर्यावरण सुधार के साथ महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनी परियोजना

पर्यावरण और महिलाओं का विकास साथ-साथ, 'एक बगिया मां के नाम' योजना का असर

भोपाल 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में एक बगिया माँ के नाम परियोजना मध्यप्रदेश में पर्यावरण सुधार के साथ महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बन रही है। राज्य शासन ने महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत प्रदेश में 'एक बगिया मां के नाम' परियोजना प्रारंभ की है। इसके अंतर्गत स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा अपनी निजी भूमि पर फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं। माँ की बगिया विकसित करने के प्रति समूह की महिलाओं में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।

अब तक 10 हजार 162 महिलाओं को 'माँ की बगिया' स्वीकृति की चुकी है। परियोजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा 1000 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है। इसके अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को पौधों की सुरक्षा से लेकर कटीले तार की फेंसिंग, पौधे खरीदने, खाद, गड्‌ढे खोदने के साथ ही सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जल कुंड बनाने के लिए राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है। फलोद्यान की बगिया विकसित करने में वर्तमान में सिंगरौली जिला सबसे आगे है। खंडवा जिला प्रदेश में दूसरे नंबर है।

40 हजार से अधिक पंजीयन

योनजा का लाभ लेने के लिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं का चयन एक बगिया मां के नाम ऐप से किया जाता है। ऐप का निर्माण मनरेगा परिषद द्वारा कराया गया है। परियोजना के अंतर्गत प्रदेश समूह की 31 हजार 300 महिलाओं को लाभांवित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। ऐप पर 40 हजार 406 महिलाओं ने 'एक बगिया मां के नाम' पर पंजीयन कराया है, जो निर्धारित लक्ष्य से अधिक है।

9 हजार 662 ग्राम पंचायतें हैं शामिल

एक बगिया मां के नाम परियोजना में प्रदेश के सभी जिलों के अंतर्गत आने वाले 313 ब्लॉक की 9 हजार 662 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इन पंचायतों के अंतर्गत आने वाले 10 हजार 162 गांवों में सर्वे कर 40 हजार 406 महिलाओं का पंजीयन किया गया है। परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक से न्यूनतम 100 हितग्राहियों का चयन किया गया है। वर्ष में दो बार महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

 ड्रोन से निगरानी

एक बगिया मां के नाम परियोजना अंतर्गत किए जा रहे पौधरोपण कार्य की मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक डेव्हलेपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा ड्रोन के माध्यम से मॉनिटरिंग की जाएगी। इससे चयनित जमीन, गड्‌ढे सहित पौधों की यथास्थिति के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग

प्रदेश में पहली बार पौधरोपण के लिए सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से पौधरोपण के लिए जमीन का चयन वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है। जलवायु के साथ ही किस जमीन पर कौन सा फलदार पौधा उपयोगी है, पौधा कब और किस समय लगाया जाएगा, पौधों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी कहाँ पर उपलब्ध है, यह सब वैज्ञानिक पद्धति (सिपरी सॉफ्टवेयर) के माध्यम से पता लगाया जा रहा है।

30 लाख फलदार पौधे लगाए जाएंगे

“एक बगिया मां के नाम’’ परियोजना अंतर्गत प्रदेश की 31 हजार 300 स्व-सहायता समूह की महिलाओं की निजी जमीन पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाएं जाएंगे, जो समूह की महिलाओं की आर्थिक समृद्धि का आधार बनेंगे।

डैशबोर्ड से पर्यवेक्षण

पौधरोपण का कार्य सही ढंग से हो रहा है या नहीं, इसके पर्यवेक्षण के लिए अलग से एक डैशबोर्ड बनाया गया है। इसके माध्यम से प्रतिदिन जिलों में हो रहे कार्यों की निगरानी की जा रही है। प्रदर्शन के आधार पर प्रथम 3 जिले, 10 जनपद पंचायत व 25 ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा।

न्यूनतम 0.5, अधिकतम 1 एकड़ जमीन होना अनिवार्य

एक बगिया मां के नाम परियोजना का लाभ लेने के लिए चयनित हुई महिला के पास बगिया लगाने के लिए भूमि भी निर्धारित की गई है। चयनित महिला के पास न्यूनतम 0.5 या अधिकतम एक एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। 

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