दिल्ली

दिल्ली जंतर मंतर पर होने वाले प्रदर्शन में बढ़-चढकर भाग लेंगे पूर्व सैनिक

करनाल/टीम एक्शन इंडिया
पूर्व सैनिक सभा की मीटिंग सैनिक गेस्ट हाउस में हुई, जिसकी अध्यक्षता पूर्व सैनिक सभा के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण फोजी ने की। बैठक में पूर्व सैनिकों ने बढ़-चढकर भाग लिया। पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कृष्ण फौजी ने कहा कि भारत के सभी पूर्व सैनिक (आर्मी, एयर फोर्स, नेवी) पूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं के हक की लड़ाई के लिए ओआरओपी-टू के खिलाफ 20 फरवरी से दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि वन रैंक वन पेंशन टू में भारतीय सेना के जवान, जेसीओ के साथ जो नाइंसाफी हुई है, उसके पीछे भारतीय सेना के रिटायर अधिकारी ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ओआरओपी-टू में भारतीय सेना, एयरफोर्स एवं नेवी डिफेंस, तीनों अंग के रिटायर पीएमआर वाले को इससे वंचित कर दिया गया है, होनेनरी कमीशन का पेंशन कम कर दिया। भारत सरकार को पता होना चाहिए कि 17 साल के शर्त पर आप सेना में जवानों को फौज में भर्ती करते हैं।
जवान प्रमोशन केडर कर पदोन्नति लेकर अधिक सेवा देता है। 15 साल के बाद पीएमआर लेकर वह घर लौटता। इस परिस्थिति में जवानों को ओआरओपी से वंचित कर देना, देश के पूर्व सैनिकों का छवि धूमिल करना है। कृष्ण फौजी ने कहा कि डिसएबलीटी पेंशन में गद्दारी, एमएसपी में धांधली, अधिकारियों को 75 हजार जवानों को 9 हजार गलत है, मेडिकल भत्ता में गद्दारी, सर्विंग सोल्जर के डिस्टरबेंस एलाउंस एवं आॅपरेशन भत्ता में बहुत बड़ा अंतर, यह सब जवानों के प्रति सौतेला व्यवहार को दशार्ता है। उन्होंने कहा कि अफसर तो चाहते ही यही हैं कि कोई भी सैनिक संगठन ओआरओपी-2 के खिलाफ आवाज नहीं उठाए। आॅफिसर्स पूरा जोर लगाए हैं, ताकि जवानों का आवाज उठाने वाला संगठन खत्म हो जाए। अगर ऐसा होता है तो रिटायर होने के बाद सभी जवान, जेसीओ वही पिछलग्गू बने रहेंगे और आॅफिसर्स जवान का 28 लाख आबादी दिखाकर नेता बन अपना काम निकलता रहेगा। इसलिए पूर्व सैनिक को एक सुर से दिल्ली जंतर मंतर पर प्रस्तावित 20 फरवरी से होने वाले आंदोलन में बढ़-चढकर हिस्सा लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और आर्थिक सौतेलापन के खिलाफ लामबंद हों। सभी ईएसएम आंदोलन का हिस्सा बनें और अपनी चट्टानी एकता का परिचय दें। पूनिया खाप ने भी कृष्ण फौजी को समर्थन दिया है कि हम भी फौजियो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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