अन्तर्राष्ट्रीय

सरकारी खर्च पर यहां होगा महंगा इलाज, हफ्ते में एक सूई और मोटापा गायब !

जापान
बदलती जीवनशैली के बीच जापान में भी मोटापा एक गंभीर बीमारी बनकर उभरी है। इससे निपटने के लिए वहां की सरकार ने वहां बुधवार (22 नवंबर) से नया उपचार शुरू करने का ऐलान किया है। इसमें होने वाले खर्च को सार्वजनिक चिकित्सा बीमा द्वारा कवर किया जाएगा। जापान के इतिहास में तीन दशकों में पहली बार वजन घटाने के लिए स्वस्थ व्यक्तियों द्वारा ऐसी दवाओं के संभावित दुरुपयोग के मद्देनजर ऐसा फैसला लिया गया है।

जापान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोटापे के इलाज में हर हफ्ते एक इंजेक्शन दिया जाएगा। मोटापे से ग्रस्त शख्स को कुल चार इंजेक्शन लगाए जाने हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेनिश फार्मास्युटिकल कंपनी नोवो नॉर्डिस्क द्वारा निर्मित 'वेगोवी' बिक्री के लिए विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा मूल्य सूची में शामिल हो चुका है। इस दवा में सक्रिय घटक सेमाग्लूटाइड होता है। यह एक जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट है, जो शरीर को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने और खून में ग्लूकोज लेवल को  कम करने के लिए सक्रिय करता है। यह व्यक्ति में तृप्ति की भावना पैदा करता है और भूख को भी कम करता है। इससे शख्स कम खाता है और मरीज के शरीर में कम कैलरी जाता है।

सरकारी निर्देशों में कहा गया है कि सरकारी स्वास्थ्य बीमा कवरेज उन्हीं मरीजों को मिल सकेगा जो उच्च रक्तचाप, हाइपरलिपिडेमिया और टाइप 2 मधुमेह जैसी स्थितियों से ग्रस्त हैं और जिन्होंने आहार और व्यायाम के माध्यम से अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं किए हैं। इस इलाज की पात्रता के लिए पीड़ित का बॉडी मास्क इंडेक्स (BMI) 35 या उससे अधिक होना चाहिए, या दो या दो से अधिक मोटापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के साथ BMI 27 से अधिक होना जरूरी है।

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये इंजेक्शन खुद लिए जा सकते हैं। इसे इंसूलिन की ही तरह आमतौर पर पेट, ऊपरी बांहों या जांघों में लिया जा सकता है। एक महीने के पैक में कुल चार पेन हैं,जिसे हर हफ्ते इस्तेमाल किया जाना है। इस इंजेक्शन (वेगोवी) की कीमतें खुराक के आधार पर विभाजित की गई हैं। 0.25 मिलीग्राम के पैक के लिए 1,876 जापानी येन यानी 1060 रुपये से लेकर 2.4 मिलीग्राम के प्रति पैक लिए 10,740 जापानी येन यानी 6073 रुपये कीमत तय की गई है।

जापान में इस दवा को सरकारी इंश्योरेंस के अंदर इसलिए लाया गया है क्योंकि लोग इसे ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में वजन घटाने और खुद को स्लिम बनाने के लिए अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल कर रहे थे। इससे जापान में इसकी किल्लत हो गई थी। इस दवा को शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका में मोटापे के इलाज के लिए डिज़ाइन किया गया था। बाद में  कॉस्मेटिक प्रयोजनों के लिए इसका इस्तेमाल होने लगा। इसलिए विश्व स्तर पर इसी तरह की दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है, और जरूरतमंदों को ये दवा नहीं मिल पा रही है।

बता दें कि दुनियाभर में करीब एक अरब से ज्यादा लोग मोटापे से ग्रस्त और त्रस्त हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इनमें से  65 करोड़ वयस्क, 34 करोड़ किशोर और करीब चार करोड़ बच्चे शामिल हैं। जापान में 18 साल से ऊपर के करीब 4.3 फीसदी पुरुष और 6 फीसदी महिलाएं मोटापे से ग्रसेत हैं।

 

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