राजनीतिक

संसद से निष्कासन अत्यंत गंभीर सजा, अधीर रंजन चौधरी ने महुआ मामले में ओम बिरला को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली
"कैश-फॉर-क्वेरी" मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की लोकसभा आचार समिति की सिफारिश पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सवाल उठाया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में उन्होंने इसकी समीक्षा करने का आग्रह किया है। विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता में आचार समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक के दौरान रिपोर्ट को अपनाया। इसमें छह सदस्यों ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन का समर्थन किया और चार विपक्षी सदस्यों ने असहमति जतायी। यह रिपोर्ट सोमवार को शीतकालीन सत्र के शुरुआती दिन संसद के निचले सदन में पेश की जाएगी।

अधीर रंजन चौधरी ने अपने पत्र में इस कार्रवाई की गंभीरता और दूरगामी प्रभाव का हवाला देते हुए निष्कासन की सिफारिश पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, "संसद से निष्कासन पर आप सहमत होंगे सर? एक अत्यंत गंभीर सजा है। इसके बहुत व्यापक प्रभाव होते हैं।" अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया कि क्या स्थापित प्रक्रिया का पालन किया गया था और क्या मोइत्रा के मामले में कोई निर्णायक मनी ट्रेल स्थापित किया गया था।

आचार समिति ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर जांच शुरू की थी। उन्होंने मोइत्रा पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अदानी समूह को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि वकील जय अनंत देहाद्राई ने उन्हें कथित रिश्वत के सबूत उपलब्ध कराए थे। भाजपा सांसद और देहाद्राई लोकसभा आचार समिति के सामने पेश हुए थे, लेकिन हीरानंदानी नहीं पेश हुए हैं।

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