दिल्ली

रोजाना 20 बे-जुबानों की जान बचा रहे दमकलकर्मी

टीम एक्शन इंडिया/चंडीगढ़
राजधानी दिल्ली में बढ़ती गर्मी के बीच आग लगने की घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच रोजाना दमकल विभाग को 125 के आसपास कॉल मिल रही हैं। जिसमें 80 से लेकर 90 कॉल आग की हो रही है। लेकिन आग पर काबू पाकर लोगों की जान और माल को बचाने में लगी हुई दमकल विभाग की टीम बेजुबानों की भी खूब जान बचा रही है। रोजाना लगभग 20 के आसपास जानवर और पेड़ों पर पक्षी के फंसे होने की कॉल आती है और उन जगहों पर पहुंचकर दमकलकर्मी की टीम इनकी जान बचा रही है। इस गर्मी के महीने में अप्रैल में अब तक 1 अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल के बीच पक्षी और जानवर रेस्क्यू करने के 310 मामले दमकल कंट्रोल रूम को मिल चुके हैं। जिसमें मौके पर पहुंची दमकल की टीम ने जानवरों और पक्षियों को रेस्क्यू करके उनकी जान को बचाया।
जिसमें सबसे ज्यादा 161 कॉल एनिमल रेस्क्यू के आए हैं। जबकि पक्षियों के रेस्क्यू करने के 149 कॉल आ चुके हैं। दमकल कंट्रोल रूम के आॅफिसर सोमवीर ने बताया की जान तो आखिर जान है, चाहे वह व्यक्ति की हो, जानवर की हो या फिर पक्षियों की। हमारा कर्तव्य है कि कॉल जिस तरह की भी मिले, मौके पर पहुंचकर हमारी टीम पूरी शिद्दत के साथ उसको पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। कई बार तो दमकल की छोटी गाड़ियों से ही मौके पर पहुंचकर पक्षियों को रेस्क्यू कर लिया जाता है, लेकिन कई बार बड़ी गाड़ियों को मौके पर मंगाना पड़ता है। जिसमें 30 से 40 मीटर की सीढ़ी होती है। उसका इस्तेमाल करके पक्षियों को फिर पेड़ से रेस्क्यू करके निकाला जाता है। गुरुवार को भी गोकुलपुरी और शाहदरा इलाके में ऐसे ही दो बड़े मामले ऐसे सामने आए जिसमें बड़ी गाड़ियों का इस्तेमाल करना पड़ा था। आमतौर पर बर्ड रेस्क्यू करने के मामले कम से कम 6 और ज्यादा से ज्यादा एक दर्जन रोजाना कंट्रोल रूम के सामने आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आग बुझाने वाली छोटी गाड़ी दमकल टेंडर 50 लाख के आसपास की होती है और सबसे बड़ी गाड़ी टीटीएल की कीमत लगभग डेढ़ करोड़ के आसपास होती है। बर्ड रेस्क्यू में भी इन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, और हर महीने करीब 600 पक्षियों और जानवरों की जान दमकल विभाग की टीम बचा रही है।

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