अन्य राज्यहरियाणा

हिसार से सुप्रीम कोर्ट तक: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें CJI की प्रेरक कहानी

हिसार 

 जस्टिस सूर्यकांत आज, सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली । राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह ऐतिहासिक होने जा रहा है। पहली बार किसी सीजेआई के शपथ ग्रहण में 7 देशों के मुख्य न्यायाधीशों की मौजूदगी दर्ज रही । इस कार्यक्रम में ब्राजील, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, भूटान, श्रीलंका और नेपाल के सीजेआई अपने प्रतिनिधिमंडलों के साथ हिस्सा लिया  । सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज भी मौजूद रहें। मौजूदा सीजेआई बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को ही समाप्त हो चुका है। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत सर्वोच्च न्यायालय का दायित्व संभालेंगे। उनका कार्यकाल 9 फरवरी, 2027 तक रहेगा।
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा में हिसार के पेटवाड़ गांव में हुआ। उनका शुरुआती जीवन एक सामान्य ग्रामीण परिवेश में बीता। हिसार से ग्रेजुएशन (1981) के बाद उन्होंने 1984 में रोहतक से LLB और 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से LLM किया। उनका कानूनी करियर 1984 में हिसार की जिला अदालत से शुरू हुआ। 1985 में वे चंडीगढ़ चले गए और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।
जस्टिस सूर्यकांत का करियर

2000: हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल नियुक्त

2001: सीनियर एडवोकेट

2004: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जज

2018: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस

2019: सुप्रीम कोर्ट के जज

2024: सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन

2025: भारत के 53वें CJI
जस्टिस सूर्यकांत के अहम फैसले

अपने करियर में जस्टिस सूर्यकांत कई संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में अहम बेंचों का हिस्सा रहे। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वे 1000 से अधिक फैसलों में शामिल रहे। इसमें आर्टिकल 370 पर ऐतिहासिक फैसला (2023) भी शामिल है। वे उस संविधान पीठ में शामिल थे, जिसने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के फैसले को बरकरार रखा। डेरा हिंसा मामला (2017) में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच में शामिल रहते हुए, उन्होंने गुरमीत राम रहीम को सजा मिलने के बाद हुई हिंसा के मद्देनजर डेरा सच्चा सौदा को पूरी तरह साफ करने का आदेश दिया। उन्होंने उस फैसले में हिस्सा लिया जिसमें देशद्रोह कानून (IPC 124A) के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई और समीक्षा तक नई FIR दर्ज न करने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए 1/3 आरक्षण, AMU अल्पसंख्यक दर्जा मामला, पेगासस स्पाइवेयर जांच और बिहार SIR मामले में भी उनकी अहम भूमिका रही।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button