दिल्ली

वेतन से अधिक काम के बोझ तले दबे गेस्ट टीचर्स, शोषण बंद करे सरकार: जीएसटीए

टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: दिल्ली की मॉडल शिक्षा व्यवस्था के स्कूलों में कार्यरत लगभग 15,000 गेस्ट टीचर्स पिछले 15 वर्षों से सरकारी उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। कम वेतन और अधिक काम करते हुए, इन शिक्षकों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भारी कमी के चलते अपना अहम योगदान दिया है। विगत सात वर्षों से महंगाई आसमान छू गई है, परंतु गेस्ट टीचर्स के दैनिक भुगतान में एक भी रुपया नहीं बढ़ा है। राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने लगातार गेस्ट टीचर्स के वेतन बढ़ोतरी, जॉब सिक्योरिटी तथा स्थायीकरण के लिए संबंधित अधिकारियों व सरकार के समक्ष जोरदार तरीके से मांग उठाई है।

चरमराती शिक्षा व्यवस्था संभालने में निभाते है अहम भूमिका: अजयवीर यादव ने आज दिल्ली के उपराज्यपाल, नवनिर्वाचित सातो सांसदो सहित शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर गेस्ट टीचर्स के वेतन वृद्धि के लिए समान कार्य-समान वेतन के आधार पर जल्द फैसला लेने का आग्रह किया है। यादव ने कहा कि लगभग 15 वर्ष पूर्व जब स्थायी शिक्षकों की भारी कमी थी, तब चरमराती हुई शिक्षा व्यवस्था को संभालने के लिए गेस्ट टीचर्स अनुबंध पर रखने की शुरूआत हुई। पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने इन गेस्ट टीचर्स से स्थायी शिक्षकों की तरह काम लिया, परंतु उनके स्थायीकरण के बारे में कभी नहीं सोचा।

आप सरकार गेस्ट टीचर्स को स्थाई करने में नाकाम: वर्तमान में आम आदमी पार्टी सरकार के गठन से पूर्व अरविन्द केजरीवाल ने गेस्ट टीचर्स की एक बड़ी सभा कर कहा था कि क्या शिक्षक भी ठेके पर रखे जाते हैं, अगर हमारी सरकार बनी तो हम एक सप्ताह में सब को स्थायी नियुक्तियाँ दे देंगे। आज आम आदमी पार्टी सरकार के गठन के दस वर्ष बीत जाने के बाद भी इन गेस्ट टीचर्स की सुध लेने वाला कोई नहीं है। विगत सात वर्षों में महंगाई लगभग पांच गुना बढ़ गई, लेकिन गेस्ट टीचर्स के दैनिक वेतन में एक रुपये की वृद्धि भी नही हुई।

गौरतलब है कि जो गेस्ट टीचर्स अविवाहित थे, अब उनके खुद के बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। एक व्यक्ति के परिवार को अब चार व्यक्तियों के परिवार का बोझ उठाना पड़ रहा है। जिम्मेदारियां और महंगाई तो बढ़ी, परंतु वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई।

शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव कहते हैं कि स्कूल परिसर में स्थायी व गेस्ट टीचर्स समान कार्य करते हैं, तो फिर इनका शोषण क्यों? आर्थिक तंगी और गृहस्थ के बोझ से गेस्ट टीचर्स मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, ऐसे में उनसे गुणवत्ता पूर्ण कार्य की उम्मीद रखना न्यायसंगत नहीं है। श्री यादव ने कहा है कि जीएसटीए गेस्ट टीचर्स की सहानुभूति में मजबूती से उनके हकों की लड़ाई के लिए उनके साथ खड़ी है, और उनको न्याय मिलने तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

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