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हरियाणा बना निवेशकों की पहली पसंद: 9 सुधार लागू, 13 पर तेजी से काम जारी

चंडीगढ़
हरियाणा ने निवेशकों के अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। राज्य सरकार ने अपने विनियमन-मुक्ति (डीरेग्युलेशन) अभियान के तहत 9 प्रमुख सुधार लागू कर दिए हैं, जबकि 13 अन्य सुधारों को तेजी से क्रियान्वित किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य वर्ष के अंत तक सभी 23 सुधारों को पूर्ण करना है, जिससे प्रदेश में उद्योग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे। 

कैबिनेट सचिवालय के विशेष सचिव श्री के.के. पाठक और हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की संयुक्त अध्यक्षता में आज यहां हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इन सुधारों पर प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में नगर एवं ग्राम आयोजना, श्रम, उद्योग एवं वाणिज्य तथा हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तुतियां दीं। श्री के.के. पाठक ने अनुपालन बोझ कम करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और शासन में डिजिटल पारदर्शिता को बढ़ावा देने संबंधी सुधारों को लागू करने के लिए हरियाणा के प्रयासों की सराहना की।

नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने मिश्रित उपयोग (मिक्स्ड यूज़) विकास की अनुमति देते हुए ज़ोनिंग को अधिक लचीला बनाया है। इससे एक ही जोन में आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां संचालित की जा सकेंगी। साथ ही, इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (आईआईएलबी) से एकीकृत जीआईएस आधारित औद्योगिक भूमि डेटाबैंक भी शुरू किया गया है, जिससे निवेशकों को औद्योगिक प्लॉटों की पहचान और आवंटन में आसानी होगी।

भूमि उपयोग परिर्वतन (सीएलयू) प्रक्रिया को सरल बनाते हुए आवश्यक दस्तावेजों की संख्या 19 से घटाकर केवल तीन कर दी गई है। अब इसके लिए स्वामित्व प्रमाण, परियोजना रिपोर्ट और क्षतिपूर्ति बांड की ही आवश्यकता होगी। औसत स्वीकृति समय अब घटकर 36 दिन रह गया है। ग्रामीण उद्योगों के लिए न्यूनतम सड़क चौड़ाई को घटाकर 20 फुट करने का प्रस्ताव विचाराधीन है।

हरियाणा भवन संहिता (बिल्डिंग कोड) में संशोधन हेतु सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया जारी है, जिसके अंतर्गत डेटा सेंटरों और आईटी पार्कों के लिए एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) बढ़ाने, सेटबैक कम करने तथा औद्योगिक परिसरों में औद्योगिक आवास बनाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है।

श्रम विभाग ने कई प्रगतिशील सुधार लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य श्रमिकों को सशक्त बनाना और उद्योगों को परिचालन सम्बन्धी अधिक स्वतंत्रता प्रदान करना है। अब महिलाओं को फैक्टरियांे और दुकानों समेत सभी क्षेत्रों में रात्रि पाली (शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक) में कार्य करने की अनुमति दी गई है। फैक्टरी बंद करने और छंटनी से संबंधित प्रक्रियाओं को भी सरल एवं तर्कसंगत बनाया गया है। इन सुधारों का मकसद उद्योगों के संचालन में सुगमता लाने के साथ-साथ श्रमिक कल्याण भी सुनिश्चित करना है।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंसेंट टू एस्टैब्लिश (सीटीई) और कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) की स्वीकृति अवधि को 30 दिनों से घटाकर 21 दिन कर दिया है। ग्रीन कैटेगरी उद्योगों के लिए सीटीओ की स्वचालित नवीनीकरण प्रणाली अब 15 वर्ष तक के लिए लागू की गई है। इसके अलावा, 734 गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को व्हाइट कैटेगरी में पुनः वर्गीकृत करते हुए नियमित निरीक्षणों से छूट दी गई है। अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अब सेल्फ सर्टिफिकेशन और थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन प्रणाली लागू की गई है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता दोनों में वृद्धि हुई है।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने सभी प्रमुख सेवाओं को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम  से एकीकृत कर दिया है। इससे निवेशकों को सभी अनुमतियां, लाइसेंस और प्रोत्साहन एक ही मंच पर प्राप्त हो सकेंगे। इसके साथ ही, हरियाणा ने जन विश्वास अधिनियम के अनुरूप अपना स्वयं का ढांचा लागू किया है। इसके अंतर्गत छोटे व्यावसायिक अपराधों को अपराध की श्रेणी से निकालकर सिविल दंड व्यवस्था में शामिल किया गया है।

अनुमतियों और शिकायत निवारण के लिए ऑनलाइन डैशबोर्ड तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चैटबॉट भी शुरू किए गए हैं, जिससे अनुमोदन प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी व तेज हुई है। औद्योगिक एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की हाल ही की मूल्यांकन रिपोर्ट में अनुपालन और गति के मामले में हरियाणा को उच्च स्थान प्राप्त हुआ है। 

बैठक में गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री विनीत गर्ग, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री ए.के. सिंह और उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. अमित कुमार अग्रवाल सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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