
हरियाणा पुलिस ने दिया राजस्थान के परिवार को तोहफा, 10 साल बाद घर लौटा लाल
- पंजाब में रह रहा था नाबालिग, एएचटीयू पंचकूला यूनिट ने ढूंढा परिवार
चंडीगढ़: हरियाणा पुलिस सिर्फ प्रदेश के ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के परिवारों में भी खुशियां देने का काम कर रही है. हरियाणा पुलिस की एक पहल से लोग पुलिस का शुक्रिया कर रहे हैं और सराहना कर रहे हैं. पुलिस प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पंचकूला यूनिट ने 10 साल से राजस्थान से गुमशुदा इकलौते बेटे को उसके परिवार से मिलवा, उनको एक अनमोल तोहफा दिया है. बच्चे के पिता ने पुलिस को धन्यवाद कहा और बच्चे को साथ लेकर घर चले गए.
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला में तैनात एएसआई राजेश कुमार ने गुमशुदा बच्चों की तलाश में चिल्ड्रन होम राजपुरा जिला पटियाला पंजाब में वेलफेयर ऑफिसर से संपर्क किया. जानकारी प्राप्त करने पर वेलफेयर ऑफिसर द्वारा बताया गया कि उनके पास हरियाणा का रहने वाला कोई बच्चा तो नहीं है, लेकिन एक बच्चा ऐसा है जो हमारे यहाँ रह रहा है. इसके परिवार का पता लगाने में समस्या आ रही है. बच्चे ने काउंसलिंग के दौरान अपना नाम, माता-पिता का नाम, और खुद को बिहार समस्तीपुर का रहने वाला बताया.
बच्चे के बताए हुए पते और परिवार से संपर्क करने पर पता चला कि यह बच्चा उनका नहीं है. उन्हें नाबालिग ट्रेन में मिला था. बच्चे से दोबारा काउंसलिंग की गई तो एक शब्द दलघर के बारे में पता चला जिसे आधार बनाकर नेट पर सर्च किया गया तो 6 गांवों की जानकारी मिली. सभी राज्यों में संपर्क किया गया तो दलघर जिला सिरोही, राजस्थान, के बारे में पता चला.
वहां गांव में बच्चे का फोटो भेजा गया तो पिता द्वारा अपने बच्चे को पहचाना गया. पिता के पास बच्चे का फोटो भेजा गया और और वीडियो कालिंग करवाई गई. पिता शंकर लाल ने बताया कि मेरा बेटा 10 साल पहले सन 2013 में गांव से गुम हो गया था. उस समय उसकी आयु मात्र 6 वर्ष थी. बच्चे के जन्म के बाद ही उसकी मां की मृत्यु हो गई थी. सीडब्ल्यूसी अमृतसर के आदेश से बच्चे के सभी कागज कार्रवाई करने नाबालिग को उसके पिता के सुपुर्द किया गया.
शिमला में रह रहे थे हरियाणा के दो बच्चे
सीडब्ल्यूसी चेयर पर्सन शिमला ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, पंचकूला के पास ई-मेल द्वारा जानकारी दी कि उनके पास दो नाबालिग बच्चे, उम्र 11 वर्ष और 8 वर्ष के रह रहे है और भाषा से हरियाणा के लगते है. यह जानकारी होने पर एएसआई राजेश कुमार ने दोनों नाबालिग बच्चों के बारे जानकारी प्राप्त की. जानकारी के बाद फ़ोन पर ही दोनों बच्चों की काउंसिलिंग की गई. काउंसिलिंग के दौरान एक 11 वर्षीय नाबालिग बच्चे की भाषा से वह जींद के आस पास के क्षेत्र से संबंधित लगा. बच्चे ने अपना नाम व पिता का नाम नरेश बताया. उसी आधार पर एएचटीयू द्वारा जींद में स्थानीय पुलिस से संपर्क किया गया. जहां भिवानी रोड, जींद पर बच्चे का परिवार तलाश किया गया.
पुलिस स्टेशन सिटी जींद में उक्त बच्चे बाबत दर्ज केस के संबंधित अनुसंधान अधिकारी को सूचना दी गई. पहचान होने पर परिवार से वीडियो कॉलिंग कराई गई. वहीं दूसरा नाबालिग बच्चा जो की 8 वर्ष का था और ट्रेन से अप्रैल माह के अंत में शिमला पहुँच गया था. उसका परिवार कालका, पंचकूला में ढूंढा गया. नाबालिग बच्चे की माँ, गरीब व अनपढ़ थी. इसीलिए बच्चें को लाने का खर्चा भी एएचटीयू द्वारा ही वहन किया गया.