हिमाचल प्रदेश

हिमाचल सरकार को फिर पड़ी कर्ज की जरूरत, 500 करोड़ रुपये का Loan लेगी सरकार, 6 सितंबर को खाते में आएगी रकम

शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार को अपने सामान्य कामकाज के लिए कर्ज की जरूरत पड़ रही है. अगस्त महीने में केंद्र से स्पेशल सेंट्रल अस्सिटेंस के रूप में राज्य सरकार को 800 करोड़ की मदद मिली थी. इससे सरकार का कामचलाऊ गुजारा हो गया, लेकिन अब सितंबर महीने में सुखविंदर सरकार को लोन की जरूरत पड़ ही गई. राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए का लोन ले रही है. इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है.

राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए का यह कर्ज 15 साल की अवधि तक चुकाएगी. सितंबर की छह तारीख को ये रकम राज्य सरकार के खजाने में आ जाएगी. इस कर्ज को सितंबर 2038 तक चुकाना होगा. इसके साथ ही राज्य सरकार पर अब कर्ज का बोझ 77 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा. इस साल के अंत तक हिमाचल सरकार की कर्ज लेने की सीमा 4200 करोड़ रुपए है. सुखविंदर सिंह सरकार प्रतिबद्ध देनदारियों का भुगतान करने के लिए यह कर्ज ले रही है.

फिलहाल, राज्य सरकार ने केंद्र की तरफ से मौजूदा वित्त वर्ष के लिए तय की गई कर्ज की सीमा के भीतर ही लोन लिया है. इससे पहले राज्य सरकार ने इसी तिमाही में जून और जुलाई माह की अवधि के बीच 2 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था. इस प्रकार सरकार मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 2300 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है. अब 1900 करोड़ रुपए की सीमा बची है सुखविंदर सिंह सरकार ने सत्ता में आने के बाद से अब तक के अपने कार्यकाल में करीब 7500 करोड़ रुपए कर्ज ले लिया है.

हिमाचल प्रदेश को मानसून सीजन में भारी बारिश ने अभूतपूर्व नुकसान पहुंचाया है. सड़कों, पुलों, पेयजल व सिंचाई योजनाओं को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. ऐसे में राज्य सरकार का सारा ध्यान आपदा के बाद पुनर्वास कार्य पर लगा है. यदि केंद्र से हिमाचल सरकार को पर्याप्त आर्थिक सहायता न मिली तो राज्य को अपना रूटीन का काम काज पूरा करना भी कठिन होगा. हिमाचल को आपदा से हुए नुकसान का आंकड़ा 9 हजार करोड़ तक पहुंचने वाला है.

इसके अलावा मानसून सीजन में आवाजाही बाधित होने के कारण वैट, जीएसटी व एक्साइज से मिलने वाले रेवेन्यू में भी भारी कमी आई है. वहीं, सुखविंदर सरकार की दस गारंटियों में से केवल एक ही पूरी हो पाई है. महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह, दूध व गोबर खरीद की गारंटी अधूरी है. वहीं, कर्मचारियों का डीए भी बाकी है. एरियर का भुगतान भी होना है. इसके लिए ही कम से कम दस हजार करोड़ रुपए की रकम चाहिए. ऐसे में सरकार की गाड़ी कर्ज के सहारे ही चलेगी. वहीं, केंद्र सरकार वित्त वर्ष में कर्ज लेने की सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती कर चुकी है. इससे पहले राज्य सरकार वित्त वर्ष के दौरान 14 हजार 500 करोड़ रुपए तक कर्ज ले सकती थी, लेकिन अब 8500 करोड़ रुपए तक ही कर्ज लिया जा सकेगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/