अन्तर्राष्ट्रीय

हिंदू कनाडा में भी डरे नहीं, मंदिर में बवाल करने पहुंचे खालिस्तानियों को दौड़ाया

नई दिल्ली.

कनाडा में हिंदू और भारतीय समुदाय के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां जारी हैं। ताजा मामला सरी का है, जहां भारतीय-कनाडा समुदाय ने बवाल करने मंदिर पहुंचे खालिस्तानियों को करारा जवाब दिया। खबर है कि दोनों पक्षों में करीब 3 घंटों तक तनाव बना रहा। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात को काबू किया।

रविवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर में कॉन्सुलर कैंप का आयोजन हुआ था। मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि उस दौरान यहां SFJ यानी सिख्स फॉर जस्टिस की ओर से बुलाए गए प्रदर्शनकारियों ने हंगामा किया। अध्यक्ष सतीश कुमार बताते हैं, 'वे करीब 25 प्रदर्शनकारी थे और हम करीब 200 थे।' मंदिर के बाहर सड़कों के दोनों ओर दोनों समूह के बीच विवाद चलता। तब सरी पुलिस के 20 जवानों ने हालात पर काबू पाने की कोशिश की।
धमका रहे थे खालिस्तानी, भारतीयों ने दे दिया जवाब
मंदिर परिषद के अध्यक्ष पुरुषोत्तम गोयल का कहना है, 'जिस तरह से उन लोगों ने हमें चेतावनी दी थी, फिर हम भी तैयार थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि हम उनका जवाब उन्हीं की भाषा के में देने के लिए तैयार हैं।' उन्होंने कहा, 'अगर कॉन्सुलेट समुदाय के लिए काम करना चाहता है, तो हम किसी भी डर की परवार किए बगैर उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं। हम डरने वाले नहीं हैं।' खास बात है कि इससे पहले ही मंदिर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया था, 'मंदिर पर हमला हो रहा है। आएं और इसे बचाएं।'
निज्जर की हत्या
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की सरी शहर में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 18 जून को हुए इस हत्याकांड के तार कनाडा सरकार ने भारत से जोड़ने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी संसद में आशंका जताई थी कि इस हत्या में भारत के एजेंट्स शामिल हो सकते हैं। इन आरोपों का भारत ने जमकर विरोध किया था।
खालिस्तानी कर रहे बवाल
भारतीय कॉन्सुलेट ने ग्रेटर टोरंटो इाके में भी कॉन्सुलर कैंप का आयोजन किया था। वहां भी खालिस्तानियों ने जमकर प्रदर्शन किए थे। इसी तरह के कैंप कनाडा में 6 स्थानों पर आययोजित किए गए थे और खालिस्तान समर्थकों की धमकी के चलते भारी पुलिस बल की मौजूदगी ही। दरअसल, इसकी वजह बुजुर्गों को सुविधाएं पहुंचाना है, जिन्हें भारतीय मिशन तक जाने के लिए ओटावा, टोरंटो या वैंकूवर तक जाना पड़ता था।

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