मनमोहन सरकार में सम्मानित IAS ओपी BJP सरकार में बने मंत्री
रायपुर
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता पूर्व IAS ओपी चौधरी के बारे में आज आपको बताते है। कलेक्टर रहने के बाद साल 2018 से वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में काम करने लगे। भाजपा ने ओपी को साल 2018 के विधानसभा के चुनाव में खरसिया सीट से प्रत्याशी बनाया लेकिन ओपी चुनाव हार गए। इसी हार के साथ भाजपा की सक्रिय राजनीति में पहुंचे। भाजपा ने ओपी चौधरी को छत्तीसगढ़ में भाजपा का पदाधिकारी बना दिया। इसके बाद लगातार ओपी चौधरी का केंद्रीय नेतृत्व के साथ नजदीकियां गहरी होती गइ। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के राष्ट्रीय लेवल के कई कार्यक्रमों के दौरान ओपी, अमित शाह के सांथ नजर आते थे। छत्तीसगढ़ के सीएम की रेस में भी ओपी चौधरी का नाम चल रहा था बरहाल उन्हें छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री बना दिया गया है।
बचपन में छूटा पिता का साथ
2 जून 1981 को खरसिया में जन्मे ओपी चौधरी के पिता सरकारी शिक्षक थे ओमप्रकाश केवल 5 साल के थे तब उनके ऊपर से पिता का साया उठ गया था। पिता की मौत के बाद माता की आंचल में ओपी चौधरी पले बढ़े। चौधरी नेअपनी शुरुआती पांचवी क्लास तक की पढ़ाई अपने गांव से की। उसके बाद आठवीं क्लास तक की पढ़ाई उन्होंने जैमुरी शिक्षा स्कूल से की। वही 12वीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद ओपी चौधरी PET का टेस्ट पास करने में असफल रहे। ओपी का सपना बचपन से ही IAS बनने का था। इसके बाद वह इस की तैयारी के लिए निकल पड़े।
पहले प्रयास में UPSC फिर कलेक्टर
यूपीएससी की पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने पहली बार यूपीएससी का पेपर दिया और पहले प्रयास में ही एक्जाम क्रैक कर लिया। जब ओपी चौधरी कलेक्टर बने थे तो वह केवल 23 साल के थे। साल 2005 बैच के आईएएस ओपी को साल 2006 में सबसे पहले सहायक कलेक्टर के रूप में कोरबा में उनकी पोस्टिंग हुई थी। इसके बाद साल 2007 में उन्हें रायपुर में एसडीएम बनाया गया था साल 2007 में उन्हें जांजगीर चांपा जिले में जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया। इसके बाद वह रायपुर नगर निगम के कमिश्नर भी रहे हैं। वहीं साल 2011 में उन्हें दंतेवाड़ा में कलेक्टर के तौर पर बैठाया गया। उसके बाद रायपुर कलेक्टर के रूप में उन्होंने काम किया है।
ओपी जब दंतेवाड़ा के कलेक्टर थे उसे दौरान आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों को विज्ञान के प्रति प्रोत्साहित करने इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज में विशेष कोचिंग की सुविधा इसके साथ ही आवासीय स्कूल की शुरुआत जैसे उन्होंने सराहनीय काम किए थे। इसके साथ ही चौधरी ने गीदम ब्लॉक में साल 2011 के दौरान शिक्षा के एक बड़े केंद्र के रूप में उसे विकसित किया था। लाइवलीहुड कॉलेज की शुरुआत करने के पीछे ओपी चौधरी का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है जिसे बाद में प्रदेश स्तर पर लागू किया गया। इन्हीं उपलब्धियों के कारण साल 2011-12 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा एक्सीलेंस अवार्ड से भी नवा़जा गया था।
राजनीति में कैसे हुई शुरूआत
13 साल अधिकारी रहते हुए साल 2018 के दौरान ओपी चौधरी रायपुर कलेक्टर थे। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके बाद भाजपा ने उन्हें खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया। लेकिन ओपी चौधरी कांग्रेस पार्टी के नेता उमेश पटेल से चुनाव हार गए। चुनाव में हार के बाद ओपी भाजपा में बेहद ही सक्रिय हो गए। इसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ में भाजपा ने प्रदेश महामंत्री पद पर बैठाया। साल 2023 के चुनाव में ओपी चौधरी को भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर विधानसभा का टिकट दिया। इस बार ओपी रायगढ़ से चुनाव के मैदान में उतरे थे। रायगढ़ विधानसभा से ओपी चौधरी ने कांग्रेस के प्रत्याशी व सिटिंग विधायक प्रकाश नायक को 64443 वोटो से चुनाव हराया। इसी जीत के साथ चौधरी पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे। साल 2023 में मुख्यमंत्री कौन बनेगा की चर्चा में ओपी नाम सामने आ रहा था लेकिन इस बीच यह तय माना जा रहा था कि अमित शाह के करीबी ओपी साय मंत्रिमंडल में जरूर शामिल होंगे। आखिरकार छत्तीसगढ़ सरकार में ओपी चौधरी मंत्री बना दिए गए हैं।