अन्य राज्यछत्तीसगढ़

बसवा राजू और सुधाकर के एनकाउंटर ने कैसे तोड़ी लाल आतंक की कमर

रायपुर
 पुलिस और सुरक्षा बलों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति के कम से कम 15 सदस्य अभी भी शामिल हैं। इन 15 सदस्यों पर जिनकी अलग-अलग भूमिकाएं काफी बड़ा इनाम है। इस लिस्ट के नक्सलियों पर ₹40 लाख से लेकर ₹1 करोड़ तक के इनाम घोषित हैं।

सोमवार को बीजापुर में मुठभेड़ में मारा गया वरिष्ठ नेता सुधाकर इस लिस्ट में 16वें नंबर पर था। सबसे वांछित व्यक्ति मुप्पल्ला लक्ष्मणा राव उर्फ गणपति सेंट्रल कमेटी सदस्य और पूर्व महासचिव है। गणपति नंबला केशवा राव उर्फ बसवराजू से पहले केंद्रीय कमेटी का महासचिव था, जो 21 मई को एक मुठभेड़ में मारा गया था।
लिस्ट में खूंखार महिला नक्सली भी

लिस्ट में एक और नाम सुजाता उर्फ कल्पना का है, इसकी उम्र 60 वर्ष से अधिक मानी जा रही है। वह माओवादी नेता किशन की विधवा है जो 2011 में पश्चिम बंगाल में एक मुठभेड़ में मारा गया था। अधिकारियों ने बताया कि सुजाता अभी भी सेंट्रल कमेटी सदस्य है और दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी की प्रभारी भी है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर ₹40 लाख का इनाम घोषित किया है, लेकिन अन्य राज्यों से उनकी गिरफ्तारी पर कुल इनाम ₹1 करोड़ से अधिक हो सकता है।

2025 की नक्सली घटनाएं
5 जून – बीजापुर में 1 करोड़ इनामी नक्सली ढेर
21 मई – नारायणपुर में 27 नक्सली ढेर, डेढ़ करोड़ का इनामी बसवा राजू भी मारा गया।
14 मई – कुर्रेगुट्टा पहाड़ पर चला देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 31 नक्सली ढेर।
10 फरवरी – बीजापुर 31 नक्सली ढेर, इनमें 11 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल
2 फरवरी- बीजापुर के गंगालूर में मुठभेड़, 8 नक्सली ढेर
20-21 जनवरी- गरियाबंद जिले में मुठभेड़, 16 नक्सलियों के शव बरामद
16 जनवरी- छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर, कांकेर पुजारी गांव में 18 नक्सली ढेर
12 जनवरी- बीजापुर के मद्देड़ इलाके में मुठभेड़, 2 महिला नक्सली समेत 5 नक्सली ढेर
9 जनवरी- सुकमा-बीजापुर बॉर्डर में 3 नक्सली ढेर
6 जनवरी – IED ब्लास्ट की चपेट में जवानों की गाड़ी आई, 8 जवान शहीद, एक ड्राइवर की भी मौत
4 जनवरी- अबूझमाड़ के जंगल में मुठभेड़, एक महिला नक्सली समेत 5 नक्सली ढेर, एक DRG जवान शहीद
पुलिस प्रशासन के प्रयास जारी

सुरक्षा बलों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में भाकपा (माओवादी) के 15 सदस्य अभी भी शामिल हैं। इनमें गणपति, सुजाता और अभय जैसे बड़े नाम हैं। इन पर लाखों रुपये के इनाम हैं। ये लोग पार्टी के थिंक टैंक हैं और रणनीति बनाते थे। अब इनकी संख्या घट गई है। पुलिस इन लोगों को पकड़ने की कोशिश कर रही है।

नक्सलियों के लिए बड़ा झटका
सुधाकर की मौत को मध्य और दक्षिणी भारत में विद्रोही समूह के राजनीतिक और ऑपरेशनल कोर के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। मौत के समय, सुधाकर CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी में तकनीकी टीम का प्रुमख था। साथ ही दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के तहत रीजनल पॉलिटिकल स्कूल (RePoS) चलाते था। ये दोनों ही कैडर को विचारधारा सिखाने और ट्रेनिंग देने के लिए बहुत जरूरी थे।

आंध्र प्रदेश में हुआ था जन्म

सुधाकर का जन्म आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले के प्रागदावरम गांव में हुआ था। वह वेलामा परिवार से था। उसने एलुरु के सी. आर. रेड्डी कॉलेज में पढ़ाई की। फिर विजयवाड़ा में आयुर्वेदिक मेडिसिन कोर्स में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई छोड़ दी। 1980 के दशक के मध्य तक, वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित होकर 1986 में पीपुल्स वॉर ग्रुप में शामिल हो गया। इस तरह से वह माओवादी के रूप में 40 साल का सफर पूरा किया है।
शांति वार्ता के दौरान लोगों के सामने आया

सुधाकर 2004 में आंध्र प्रदेश सरकार और नक्सलियों के बीच हुई शांति वार्ता के दौरान लोगों के सामने आया। रामाकृष्ण और गणेश जैसे बड़े नेताओं के साथ, वह गुत्तीकोंडा बिलम में एक जनसभा को संबोधित करने के लिए जंगलों से बाहर आया। हैदराबाद में 15 से 18 अक्टूबर, 2004 तक चली बातचीत में युद्धविराम, भूमि अधिकार और कैदियों की रिहाई पर ध्यान दिया गया। हालांकि, बातचीत जल्द ही टूट गई। इसके बाद सुधाकर वापस भूमिगत हो गया। इस बार वह मध्य भारत के घने जंगलों में शिफ्ट हो गया।

माड क्षेत्र में एक्टिव था सुधाकर

2007 से, सुधाकर मुख्य रूप से माड क्षेत्र में सक्रिय था। वह माओवादी विचारधारा के प्रशिक्षण स्कूल RePoS और MoPoS (मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल) की देखभाल करता था। उसने CPI (माओवादी) के तकनीकी विंग में भी अहम भूमिका निभाई। वह संचार और उपकरण लॉजिस्टिक्स का काम संभालता था। जो गुरिल्ला युद्ध के लिए बहुत जरूरी था। उसे तेलुगु, हिंदी और गोंडी भाषाएं आती थी। माओवादियों को टेक्निकल एजुकेशन और तकनीकी ज्ञान से जुड़ा है। यह सुधाकर की दुर्लभ क्षमता थी।

पत्नी भी है सक्रिय माओवादी

सुधाकर की पत्नी, ककरला गुरु स्मृति उर्फ उमा भी एक सक्रिय माओवादी है। वह दंडकारण्य क्षेत्र में राज्य समिति की सदस्य है।

आंध्र और ओडिशा में कई मामले दर्ज

सुधाकर पर आंध्र प्रदेश और ओडिशा में कई मामले दर्ज थे। इनमें मुठभेड़, विस्फोट और शस्त्र और विस्फोटक अधिनियमों के उल्लंघन जैसे मामले शामिल थे। ये मामले सिलेरू, पाडेरू और कोरापुट जैसे इलाकों में हुए थे। 2003 में, बल्लुनिरि गांव के पास एक मुठभेड़ में दो माओवादी मारे गए थे। इस मामले में सुधाकर का नाम भी था।

मलकानगिरी और अन्य वन क्षेत्रों में समन्वित विस्फोटों और घात लगाकर किए गए हमलों में उनकी भूमिका ने उन्हें एक टॉप लेवल का ऑपरेटिव बना दिया। उस पर 50 लाख रुपए का नकद इनाम था।

आंध्र प्रदेश के एक वरिष्ठ एंटी-नक्सल खुफिया अधिकारी ने बताया कि सुधाकर की मौत माओवादी आंदोलन के लिए एक गंभीर झटका है। खासकर राजनीतिक शिक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में।

सुधाकर का एक छात्र विद्रोही से टॉप माओवादी रणनीतिकार बनने का सफर, नक्सली आंदोलन के इतिहास को दर्शाता है। यह राजनीतिक बातचीत और सशस्त्र विद्रोह के बीच झूलता रहा। उसकी मौत सुरक्षा बलों के लिए एक सामरिक जीत है। लेकिन इसका गहरा असर माओवादी रैंकों के भीतर वैचारिक गहराई और तकनीकी तालमेल की कमी के रूप में दिख सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button