मैं पहली बार किशोरी जी के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर कर रही हूं: हेमांगी
मुंबई
जी टीवी के हाल ही में लॉन्च हुए शो, ‘कैसे मुझे तुम मिल गए’ ने अपनी शुरूआत से ही एक दूसरे से बिल्कुल अलग दो किरदारों – अमृता (सृति झा) और विराट (अर्जित तनेजा) की नामुमकिन प्रेम कहानी के साथ दर्शकों को बांधे रखा है। यह शो इस बात पर केंद्रित है कि क्या होता है जब अपनी आंखों में सपने सजाए एक रोमांटिक मराठी मुलगी की मुलाकात एक तेज तर्रार पंजाबी मुंडे से होती है, जो शादी में विश्वास नहीं करता है, क्योंकि वो सोचता है कि सभी महिलाएं लालची होती हैं। सृति और अर्जित के अलावा इस शो में पॉपुलर एक्ट्रेस हेमांगी कवि भी नजर आ रही हैं। वो इसमें अमृता की मां भवानी चिटनिस का रोल निभा रही हैं।
भवानी एक मध्यमवर्गीय अस्सल मराठी महिला हैं, जिनके लिए उनका परिवार ही सबकुछ है। मैं खुद एक महाराष्ट्रीयन हूं और इसलिए भवानी के रोल की तैयारी करना मेरे लिए बड़ा आसान था। बस मुझे वही बने रहना था, जो मैं हूं और मैंने जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव पर जो भी महसूस किया है, इससे मुझे इस किरदार को स्वाभाविक ढंग से निभाने में मदद मिली। चूंकि मैं इस किरदार से जुड़ीं बारीकियां समझती थी, तो मैंने सिर्फ अपनी मातृभाषा, अपनी बॉडी लैंग्वेज और अपने हावभाव को अपने किरदार में शामिल किया। मुझे सिर्फ एक ही चैलेंज पेश आया और वो यह था कि मैं रियल लाइफ में मां नहीं हूं, लेकिन मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखती हूं कि मेरी मां मुझसे किस तरह बात करती थी और कैसा बर्ताव करती थीं। इसी वजह से मुझे शूटिंग के दौरान अपने रोल में विश्वसनीता लाने में मदद मिली। वर्षों से टेलीविजन ने समाज की झलक दिखाई है। यह कला का एक शानदार चक्र है, जो जिंदगी का आईना दिखाता है और बदले में जिंदगी कला की झलक दिखाती है। इस शो में रिश्तों, विवाह और प्यार को लेकर एक आधुनिक नजरिया दिखाया गया है।
आज के युवा शादी को लेकर अलग-अलग सोच रखते हैं। एक तरफ हमारे पास कुछ ऐसे लोग हैं, जो मानते हैं कि पति-पत्नी के बीच एक अच्छा तालमेल बनाने के लिए शादी में लगातार मेहनत करनी पड़ती है लेकिन फिर भी वो इसकी पवित्रता में विश्वास रखते हैं। एक अन्य पक्ष भी है जिसने अपने व्यक्तिगत अनुभव के कारण शादी पर से विश्वास खोना शुरू कर दिया है और यहां तक कि सवाल भी उठाया है कि क्या इसकी जरा-सी भी जरूरत है? हमारी कहानी बताती है कि क्या होता है जब विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, और शादी को लेकर बिल्कुल अलग-अलग नजरिया रखने वाले दो लोग एक दूसरे से मिलते हैं और दोनों के बीच तालमेल बनता है, जहां नए जमाने के प्यार की झलक देखने को मिलती है।
क्या भवानी और हेमांगी में कोई समानताएं हैं?
हां भवानी और हेमांगी में बहुत-सी समानताएं हैं। मेरे लिए भवानी का किरदार निभाना बहुत आसान है क्योंकि मुझे कुछ नया सीखने की जरूरत नहीं पड़ती। मुझे बस खुद को ही प्रस्तुत करना होता है। मैं एक महाराष्ट्रीयन हूं इसलिए एक शो में इसी किरदार को निभाना मुश्किल नहीं है। हालांकि ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जो मैं भवानी से सीख रही हूं।