अन्य राज्यछत्तीसगढ़

माया व अहंकार का परदा पड़ा है तो कैसे होंगे दर्शन प्रभु के : राजीवनयन

रायपुर

जीव का सबसे प्रिय मित्र है परम ब्रम्ह परमात्मा, वो आपके ह्दय में है पर आप उनका दर्शन नहीं कर पाते हैं इसलिए कि उनके और आपके बीच अज्ञान, अंधकार, माया व अहंकार का परदा पड़ा हुआ है। जो तुम्हारा है तुम नहीं समझ पा रहे हो तो दूसरा क्या समझेगा? जीव को अपनी आत्मा का ज्ञान या बोध होना ही आध्यात्म है। ज्ञान जीव को गुरुदेव की कृपा से प्राप्त होता है। मोह को दूर करता है सत्संग और जब बार-बार भागवत कथा सुनोगे तो मोक्ष मिल जायेगा।

हिंद र्स्पोटिंग लाखेनगर मैदान में आयोजित श्रीमद भागवत कथा सत्संग में संत राजीवनयन महाराज ने बताया कि जैसे प्रेम का भाव आता है कृष्ण हमारी तुम्हारी भाषा समझ जाता है। कृष्ण माखनचोर ही नहीं बल्कि चित्तचोर के रूप में भी जाने जाते हैं। मथुरा जाने के लिए जब श्रीकृष्ण अक्रुर के साथ रथ पर सवार हुए तो यशोदा व गोपियों की विरह लीला का प्रसंग शब्दों में प्रगट नहीं किया जा सकता है। सारा जगत जिस जगन्नाथ की उंगलियों पर नाचता है, वही माता यशोदा की उंगली पर नाचता है। मुट्ठी पर छांछ के लिए गोपियों के इशारे पर नाचते हैं। गोपियों की प्रेम निश्छल है, लेकिन आज प्रेम का प्रदर्शन किया जा रहा है। धर्म को जीया जाता है और प्रेम को पीया जाता है।

प्रसंगवश उन्होने बताया कि एक भक्त श्रीकृष्ण से कहता है कि वो कुछ मांगने आया है। तब श्रीकृष्ण उन्हे बताते हैं उनके पास दो ही चीजें हैं एक माया और दूसरी भक्ति बताओ क्या चाहिए। भक्त कहता है शब्दों में न उलझायें दोनों का अंतर स्पष्ट करें। तब गोविंद बताते हैं तुम्हे खुद नाचना है तो माया को ले जाओ और मुझे नचाना है तो भक्ति को। जीव माया के वशीभूत होकर नाचता है। भागवत में बताया गया यह संदेश हर जीव के लिए है।

जो बोओगे.. वही तो काटोगे-
कथाव्यास ने बताया कि जो तुमको पसंद नहीं वह दूसरों के साथ कभी नहीं करना। माता पिता गुरु अतिथि को देवतुल्य माना गया है। कभी भी उनका तिरस्कार न करें। माता पिता के आंसू दो ही बार आते हैं एक बेटी की विदाई के समय और दूसरा बेटा बड़ा होने के बाद कटु वचन बोलता है तब। यदि आप चाहते हैं कि बड़ा होने पर तुम्हारा बेटा तुम्हारी सेवा करें तो तुम भी वही करों ताकि बच्चा अनुसरण कर सके। इसलिए शास्त्र कहते हैं जैसे बोओगे वैसा ही काटोगे।

644 वीं कथा कर रहे हैं-
संत राजीवनयन ने 1108 श्रीमद्भागवत कथा करने का संकल्प लिया है,आज वे 644 वीं कथा कर रहे हैं। जिनमें से 400 कथा तो केवल छत्तीसगढ़ में ही कर चुके हैं। कथा के बीच वे हमेशा इस बात का जिक्र करते हैं छत्तीसगढ़ के लोगों में धर्म के प्रति जो आस्था और भक्ति है वह अद्भुत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/