मछली पालन के व्यवसाय में अपार संभावनाएं: बंडारू दत्तात्रेय
करनाल/टीम एक्शन इंडिया
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मछली पालन के व्यावसाय में तरक्की की अपार संभावनाएं हैं। किसान इस व्यवसाय को खेती के रूप में अपनाकर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। ऐसी ही मिसाल नीलोखेड़ी कस्बे के छोटे से गांव बुटाना के प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह ने पेश की है, जिसने न केवल मछली पालन के क्षेत्र को अपनी आय का साधन बनाया है, बल्कि इस क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करके सुल्तान सिंह आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मछली पालन व्यवसाय को एक औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने करना चाहिए। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। राज्यपाल वीरवार को अपने प्रस्तावित दौरे के अनुसार नीलोखेड़ी कस्बे के गांव बुटाना में पद्मश्री अवार्डी प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह के मछली फार्म का दौरा कर रहे थे।
इस मौके पर सुल्तान सिंह ने राज्यपाल का फूल मालाएं, शॉल ओढ़ाकर तथा मोमेंटो देकर स्वागत किया। राज्यपाल ने कहा कि सुल्तान सिंह ने पिछले 40 साल में कड़े परिश्रम व शोध करके मछली पालन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं।
उन्होंने इजराईल की तकनीकों को अपनाकर कम पानी में मछली का बेहतरीन उत्पादन कर रहे हैं। इन्होंने नवीन पद्धति पर आधारित बीज भी तैयार किया है।
राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने भी मछली पालन व्यावसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में अनेक योजनाएं चलाई हैं। इसी के दृष्टिगत हरियाणा सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए बजट में 124 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान किया है, जिसके तहत सामान्य जाति के किसानों के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लोगों को भी मछली पालन व्यावसाय से जोडऩे के लिए प्रशिक्षण देने के साथ-साथ तालाब लीज पर लेनेए मछली बीज इत्यादि के लिए अनुदान राशि मुहैया करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार की इस योजना से जहां बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया हो रहे हैं, वहीं पंचायती तालाबों के पट्टे पर दिए जाने से पंचायतों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है, जिससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिला है।
खुद स्थापित किया मछली बीज हैचरी
इस मौके पर पद्मश्री अवार्डी प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह ने बताया कि उनके परिवार के लोग शुरू से ही परंपरागत खेती करते थे, लेकिन मेरे अंदर परिवार से हटकर कुछ अलग करने का जज्बा था। इसलिए मैंने अपनी बीए की पढ़ाई के दौरान ही मछली पालन पर काम शुरू कर दिया था। इसके बाद मैं केवीएफ के संपर्क में आया, जहां डॉ. मारकंडे ने मुझे मछली बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया और मैंने उत्तर भारत की पहली मछली बीज हैचरी का निर्माण किया और बीज बेचने का काम शुरू कर दिया। इसके अलावा राजस्थान एवं महाराष्ट्र में भी डैम को पट्टे पर लेकर काम शुरू किया हुआ है।
क्या है रि-एक्वा सकुर्लेशन सिस्टम
रिएक्वा सकुर्लेशन सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए किसान सुल्तान सिंह ने बताया कि इस तकनीक में कम भूमि में अधिक मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने 1200 गज में इस सिस्टम को लगाया है, जहां पर रिकार्ड 50 से 60 टन मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है। वहीं, इस तकनीक से तैयार मछली का मार्केट में मूल्य भी अधिक मिलता है। वहीं इस तकनीक में 90 प्रतिशत पानी को रि-साईकिल किया जाता है। इस तकनीक को वह किसान आसानी से अपना सकते हैं, जिनके पास भूमि कम है।
फार्म पर लगी हैं कई आधुनिक मशीनें
सुल्तान सिंह ने बताया कि मछली फार्म पर मछलियों की नई किस्मों को तैयार करने के साथ-साथ अपने फार्म पर आधुनिक मशीनें भी लगाई हुई हैं। इसमें मुख्य रूप से मछली प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण किया गया है। इसमें कांटा रहित मछली उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा क्वालिटी टेस्टिंग लैब का भी निर्माण किया गया है।
हजारों लोगों को दे चुके है प्रशिक्षण : सुल्तान सिंह
किसान सुल्तान सिंह ने बताया कि वे करीब 35 वर्षों से इस व्यवसाय में लगे हुए हैं। देश के हर कोने से विभिन्न कॉलेजों के छात्रों के अलावा कृषि वैज्ञानिक उनके फार्म का दौरा कर मछली पालन की तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके हैं। वे अब तक कई हजार लोगों को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे चुके हैं।
पहले भी दर्जनों बार हो चुके हैं सम्मानित
इससे पहले किसान सुल्तान सिंह जगजीवन राम पुरस्कार, क्वालिटी समिट अवार्ड, बेस्ट इन्कमबेंसी अवार्ड, प्रगतिशील किसान अवार्ड, बेस्ट फिश फार्मर अवार्ड, बेस्ट इनोवेटिव किसान अवार्ड, कर्म भूमि सम्मान फार्मर अवार्ड, आईडियल परनेल्टी अवार्ड के अलावा दर्जनों बार राज्य सरकार एवं विदेशों में सम्मानित हो चुके हैं।
इस मौके पर उपायुक्त अनीश यादव, पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया, राज्यपाल के एडीसी अभिषेक जोरवाल, संयुक्त सचिव हरियाणा राजभवन अमरजीत सिंह, जिला मत्स्य अधिकारी शकुंतला, बीडीपीओ नीलोखेड़ी, नीरज चौधरी व प्रिया चौधरी भी मौजूद रहे।