कश्मीर में बेरोजगारी बढ़ने से प्रवासी श्रमिकों की बढ़ी परेशानी
श्रीनगर। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में नौकरियां खत्म हो रही हैं और अप्रैल में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत रही। हालांकि, सरकारी अधिकारी इन आंकड़ों से संतुष्ट नहीं हैं। दशकों से कश्मीर घाटी आने वाले श्रमिकों को अब कोविड से पहले के स्तर की तुलना में बहुत कम काम मिल रहा है।
इनमें से ज्यादातर श्रमिक बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल और झारखंड के हैं। दैनिक आधार पर मजदूरी पाने वाले बिहार के एक श्रमिक नाबा पासवान ने बताया, “कोविड महामारी से पहले काम अच्छा था, लेकिन अब बिल्कुल काम नहीं है। मैं पिछले 10 दिन से बिना काम के बैठा हूं। बिल्कुल काम नहीं है और मजदूरी भी कम हो गई है।”
भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (सीएमआईई) ने अप्रैल की अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर सरकार के एक अधिकारी ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह वास्तविक स्थिति नहीं बता रही है। उन्होंने कहा, “इस बारे में अलग-अलग राय हो सकती है।
सर्वेक्षण सही तरह से नहीं किया गया है, जिससे वास्तविक बेरोजगारी दर पता चलती।” रोजगार निदेशक निसार अहमद वानी ने कहा, “जिला विकास आयुक्तों के समन्वय में विभागीय सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में बेरोजगारी दर 7.04 प्रतिशत थी।
इसके बाद हमने हर जिले में एक गांव और एक तहसील विधि से सर्वेक्षण किया।” उन्होंने कहा, “हमने प्रदेश में 206 तहसीलों में 206 गांवों में सर्वेक्षण किया लेकिन शहरी क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया। इस विधि से बेरोजगारी दर 8.04 प्रतिशत निकली।”