अन्तर्राष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद को लेकर भारत ने एक बार फिर अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखा

संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद को लेकर भारत ने एक बार फिर अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखा है। यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमूलचूल परिवर्तन हों। इसके अलावा स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों  का विस्तार किया जाए। शनिवार को न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद सुधार के मुद्दे पर  बोलते हुए कंबोज ने अपनी मांग रखी। बता दें कि भारत समेत कई देश हैं जो कि सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। हालांकि चीन जैसे देश में नहीं चाहते कि इसमें कोई सुधार किया जाए। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही 5 स्थायी सदस्यों का ही संयुक्त राष्ट्र में दबदबा रहा है। इसमें चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। ऐसे में कई बार ज्यादा देशों की बात को अनदेखा किया जाता है। इसी मामले को लेकर एक बार फिर भारत ने पांचों देशों को जमकर लताड़ा है। भारत की प्रतिनिधि ने कहा कि इन पांच स्थायी देशों की वजह से बाकी 188 देशों की सहमति या असहमति को तवज्जो नहीं दिया जाता है।

सुरक्षा परिषद के भविष्य की ओर इंगित करते हुए कंबोज ने कहा, समावेशी विश्व को ध्यान में रखते हुए अब सुधार बहुत जरूरी हो गए हैं। उन्होंने कहा कि केवल अस्थायी सदस्यों के विस्तार करने से समस्या का हल नहीं निकलेगा। सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र में समान अवसर मिलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ अब तक अन्याय होता रहा है। ऐसे में अब एशियाई और अफ्रीकी देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जगह देनी जरूरी हो गई है। जब तक कमजोर देशों को भी अपनी बात रखने और उनके विचार को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक सबके हित में फैसले नहीं हो सकेंगे।

बता दें कि भारत कई सालों से संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्तया का दावा पेश कर रहा है। कई देशों ने इसका समर्थन भी किया है। हालांकि चीन नहीं चाहता कि भारत को स्थायी सदस्यों में शामिल किया जाए। इसलिए वह बार-बार रोड़ अटकाता है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं। हालांकि पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो है। वे किसी भी प्रस्ताव को रोकने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में विश्व हित के फैसले लेने का मामला संकुचित हो जाता है। अगर इन देशों को कोई भी बात पसंद नहीं आती तो संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव वहीं गिर जाता है।

चीन भारत को संयुक्त राष्ट्र में रोकने के लिए पाकिस्तान का भी सहारा लिया करता है। कंबोज ने कहा, वास्तव में कहीं भी हो रहा अन्याय हर जगह न्याय को सुनिश्चत नहीं कर सकता। भारत ने कहा कि जी20 के दौरान अफ्रीकन यूनियन को शामिल किया गया। भारत नहीं चाहता कि कोई भी देश वंचित रहे और कमजोर रहे। संयुक्त राष्ट्र को भी इस दिशा में सोचना चाहिए।

 

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