
भारतीय मुस्लिम नेता की पहल से यमन में उम्मीद की किरण: निमिषा प्रिया को मिल सकती है राहत
नई दिल्ली
यमन में निमिषा प्रिया को बचाने के लिए एक बार फिर से कोशिशें तेज हैं। उन्हें 16 जुलाई को यमन में सजा-ए-मौत देने का फैसला सुनाया गया है और उससे कुछ घंटे पहले ही एक बार फिर से उम्मीद की आखिरी किरण जगी है। भारत के एक मुफ्ती और सुन्नी मुस्लिम समाज के नेता एपी अबू बकर मुसलियार ने इस मामले में दखल दिया है। उन्होंने यमन सरकार से निमिषा प्रिया को माफ करने की अपील की है तो वहीं मृतक तलाल अबदो मेहदी के परिवार से भी संपर्क साधा गया है। यमन में इसे लेकर आज एक मीटिंग होने वाली है। इस मीटिंग में निमिषा के वकील सुभाष चंद्रन रहेंगे। तलाल अबदो मेहदी के परिवार और हुडैदा स्टेट कोर्ट के चीफ़ जस्टिस, यमन शूरा काउंसिल के सदस्य शेख़ हबीब उमर मौजूद रहेंगे।
मुसलियार ने दरअसल अपने यमनी दोस्त और वहां के मशहूर स्कॉलर शेख हबीब उमर के माध्यम से दखल देने की कोशिश की है। हबीब उमर के आग्रह पर मारे गए तलाल अबदो मेहदी के परिवार के कुछ लोग और हुदैदा स्टेट कोर्ट के चीफ जस्टिस यमन के दमार पहुंचे हैं। यहीं पर इस मामले को लेकर चर्चा होनी है। यमन की शूरा काउंसिल में शेख हबीब उमर सदस्य के तौर पर जुड़े हुए हैं। उनका यमन की राजनीति में भी थोड़ा प्रभाव माना जाता है। कहा जा रहा है कि हबीब उमर के दखल के बाद पीड़ित तलाल का परिवार अब अपनी मांगों पर दोबारा विचार के लिए तैयार है।
दरअसल निमिषा प्रिया को बचाने के वास्ते ब्लड मनी का ऑफर तलाल के परिवार को दिया था, जिसे उसने खारिज कर दिया था। इससे निमिषा प्रिया के बचने की सारी उम्मीदें टूट गई थीं। अब जबकि तलाल का परिवार फिर से बात करने पर राजी हुआ है तो उम्मीद जगी है। लेकिन अभी कुछ साफ कहना मुश्किल है। पूरा माजरा इससे तय होगा कि आखिर तलाल अबदो मेहदी का परिवार ब्लड मनी के लिए राजी होता है या नहीं। यदि वह राजी हुआ तो निमिषा की जिंदगी बच जाएगी और यदि वे राजी नहीं हुए तो सजा-ए-मौत तय होगी।
क्या ब्लड मनी पर मान जाएगा मृतक का परिवार, यही सबसे बड़ी उम्मीद?
निमिषा के वकील सुभाष चंद्रन ने बताया कि मृतक के परिवार के साथ बातचीत की जा रही है और अटॉर्नी जनरल से मिलकर फांसी से संबंधित आदेश को टालने की कोशिश की जा रही है। ब्लड मनी (क्षतिपूर्ति) को स्वीकार करने संबंधी ऑफर पर भी बात चल रही है। इन प्रयासों के अंतर्गत अब तक तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन अब सजा-ए-मौत में कुछ घंटों का वक्त बचा है तो उससे पहले प्रयास किए जा रहे हैं। बता दें कि सरकार ने भी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमने इस मामले में प्रयास कर लिए, लेकिन यमन के कानून थोड़े अलग हैं। इसके अलावा सरकार ने कहा कि हम एक हद से ज्यादा आगे इस मामले में नहीं बढ़ सकते।