अन्तर्राष्ट्रीय

भारत की बेटी सुनीता विलियम्स एक बार फिर से रचने वाली है इतिहास, बोलीं- घर वापस जाने जैसा होगा

न्यूयॉर्क

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कैप्टन सुनीता विलियम्स एक बार फिर से इतिहास रचने जा रही है। वो दोबारा स्पेस की जर्नी के लिए निकलने वाली है। इस दफा वो बिलकुल न्यू स्पेसशिप बोइंग स्टारलाइनर की मदद से यात्रा करेंगी। उनकी उड़ान लिफ्ट ऑफ कैनेडी स्पेस सेंटर से 7 मई, 2024 को भारतीय समयानुसार सुबह 8.34 8.04 बजे शुरू होगी। उनसे जब यात्रा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो थोड़ी घबराई हुई है, लेकिन न्यू स्पेसशिप में उड़ान भरने को लेकर किसी तरह की घबराहट नहीं हो रही है। मैं जब दोबारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचूगी तो मुझे ऐसा लगेगा कि मैं दोबारा से अपने घर आई हूं।

59 वर्षीय सुनीता विलियम्स ने साल 2006 औप 2012 में दो बार स्पेस में जा चुकी हैं। नासा के रिकॉर्ड के मुताबिक वो स्पेस में अबतक कुल 322 दिन बीता चुकी हैं। वो दुनिया के पहली महिला एस्ट्रोनॉट है, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक स्पेसवॉक किया है। उन्होंने कुल 50 घंटे और 40 मिनट तक स्पेसवॉक किया है। इस दौरान उन्होंने 7 बार स्पेसवॉक किया था।

सुनीता भगवान गणेश की मूर्ति ले जाएगी स्पेस में

नासा का कहना है कि सुनीता फिलहाल बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसशिप पर क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन की पायलट बनने की तैयारी कर रही है, जो पहली उड़ान है। इसके अलावा ये उनका तीसरा मिशन है। उन्हें सबसे पहले साल 1998 में एक एस्ट्रोनॉट के रूप में चुना गया था। इसके बाद वो साल 2015 में स्पेस शटल के मिशन से रिटायरमेंट ले लिया था। उन्होंने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वो अपने साथ भगवान गणेश की एक मूर्ति लेकर जाएगी। इससे पहले उन्होंने अपनी पिछली यात्रा में भगवद गीता को अपने साथ लेकर स्पेस स्टेशन गई थी।

अब तक 12 क्रू मिशन भेज चुकी है एलन मस्क की स्पेसएक्स

अंतररार्ष्टीय स्पेस स्टेशन पर अब तक सिर्फ एलन मस्क की क्रू फ्लाइट टेस्ट सफल रही है। 2020 में स्पेसएक्स ने पहली क्रू फ्लाइट टेस्ट आईएसएस पर भेजी थी, इसके बाद से 12 क्रू मिशन भेजे गए हैं। वहीं, स्टारलाइनर ने 2019 में एक असफल प्रयास के बाद मई, 2022 ममें एक सफल अनक्रूड टेस्ट फ्लाइट भेजी थी।

अंतरिक्ष में 322 दिन बिता चुकी हैं सुनीता विलियम्स

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं, उन्होंने अब तक कुल 322 दिन अंतरिक्ष मे बिताए हैं। 2006 में सुनीता विलियम्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजे गए 14वें शटल डिस्कवरी के साथ रवाना किया गया था, इसके बाद उन्होंने 2012 में दोबारा अंतरिक्ष की उड़ान भरी, उस समय उन्होंने कजाकिस्तान के बैकोनूर से रूसी रॉकेट सोयूज टीएमए-05एम से उड़ान भरी थी।

 

नए अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने को लेकर उत्साहित
मिशन को संचालित करने जा रहीं सुनीता विलियम्स ने मीडिया कर्मियों से बात की। उन्होंने कहा कि वह थोड़ी सी घबराई हुई हैं। लेकिन नए अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने आगे कहा, 'जब मैं अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचूंगी, तो यह घर वापस जाने जैसा होगा।'

अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं कुल 322 दिन
डॉ. दीपक पांड्या और बोनी पांड्या के घर जन्मीं सुनीता विलियम्स एक बार फिर इतिहास रचेंगी। वह ऐसी पहली महिला होंगी, जो मानवयुक्त अंतरिक्ष यान के पहले मिशन पर उड़ान भरेंगी। वह साल 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष जा चुकी हैं। विलियम्स ने दो मिशनों में अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं, जो अपने आप में एक रिकाॅर्ड है।

यह रिकॉर्ड भी इनके नाम
एक समय ऐसा था जब उनके नाम पर एक और रिकॉर्ड दर्ज था। वह एक महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे अधिक स्पेसवॉक समय के लिए रिकॉर्ड रखती थी क्योंकि उन्होंने सात स्पेसवॉक में 50 घंटे और 40 मिनट बिताए थे। सुनीता ने दूसरी अंतरिक्ष उड़ान 14 जुलाई 2012 को भरी थी। तब वो अंतरिक्ष में चार महीने रही थीं। सुनीता ने 50 घंटे 40 मिनट स्पेसवॉक करके फिर एक नया रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि, उसके बाद पेगी व्हिटसन ने 10 स्पेसवॉक के साथ उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष यात्रा में अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति, उपनिषद के साथ-साथ समोसे भी लेकर गईं थी। 18 नवंबर, 2012 को उनका दूसरा मिशन खत्म हुआ था।

दो बार जा चुकी हैं अंतरिक्ष
सुनीता विलियम्स के पिता गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासान में पैदा हुए एक न्यूरोएनाटोमिस्ट थे, लेकिन बाद में अमेरिका चले गए और बोनी पांड्या से शादी कर ली। फिलहाल, सुनीता अब बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान पर क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन का पायलट बनने की तैयारी कर रही हैं। उनका जून 1998 में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ था। नौ दिसंबर 2006 में वह पहली बार अंतरिक्ष गई थीं। उन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजे गए 14वें शटल डिस्कवरी के साथ रवाना किया गया था। इसके बाद 2012 में उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा शुरू हुई थी। तब उन्होंने कजाकिस्तान के बैकोनूर से रूसी रॉकेट सोयूज टीएमए-05एम से उड़ान भरी थी।

गणेश की मूर्ति साथ लेकर जाएंगी
तीसरी बार उड़ान भरने से पहले विलियम्स ने बताया कि वह भगवान गणेश की एक मूर्ति साथ लेकर जाएंगी। उनका मानना है कि गणेश उनके लिए भाग्यशाली हैं। वह अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति साथ ले जाने को लेकर खुश थीं। इससे पहले सुनीता अपने साथ अंतरिक्ष में भगवदगीता लेकर गईं थीं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें समासे बहुत पसंद हैं।

अपनी पिछली उड़ानों में, वह भगवद गीता की प्रतियां अंतरिक्ष में ले गई हैं। उसने यह भी कहा कि उसे समोसे बहुत पसंद हैं! अपने अन्य जुनून के बीच, वह एक मैराथन धावक भी हैं और आईएसएस में रहते हुए मैराथन दौड़ती हैं। अपने अन्य जुनून के अलावा, वह एक मैराथन धावक भी हैं और आईएसएस में रहते हुए उन्होंने मैराथन दौड़ भी लगाई।

अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले क्या काम करती थीं?
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर, 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। 1987 में उन्होंने अमेरिकी नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में बैचलर की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर की। नासा से जुड़ने से पहले वो अमेरिका की नौसेना में काम करती थी। उस समय उन्होंने 30 से ज्यादा विभिन्न विमानों में 3000 से ज्यादा उड़ान घंटे दर्ज किए थे। सुनीता विलियम्स फिलहाल अभी अपने तीसरे अंतरिक्ष मिशन की तैयारी कर रही हैं।

भारतीय मूल की सुनीता को कई देशों की सरकार ने सम्मानित किया है। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया था। रूस की सरकार ने उन्हें मेडल ऑफ मेरिट इन स्पेस एक्सप्लोरेशन दिया। वहीं, स्लोवेनिया की सरकार ने उन्हें गोल्डन ऑर्डर ऑफ मेरिट सम्मान से नवाजा था। नासा ने उन्हें नासा स्पेसफ्लाइट मेडल दिया, जो स्पेस मिशन में महत्वपूर्ण उपलब्धि या सेवा के लिए दिया जाता है।

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