राष्ट्रीय

आम लोगों पर महंगाई की मार, 8 महीने के हाई पर थोक महंगाई, CNG के दाम भी बढ़े

नईदिल्ली

रिटेल इंफ्लेशन के बाद के बाद थोक महंगाई में जबरदस्त इजाफा देखने का मिला है. आंकड़ों के अनुसार थोक महंगाई 8 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई है. खास बात तो ये है कि 7 महीने के बाद थोक महंगाई का आंकड़ा पॉजिटिव नंबर्स में देखने को मिला है. थोक मंहगाई के आंकड़ें अप्रैल 2023 से जीरो से नीचे माइनस में ही देखने को मिल रहे थे. अक्टूबर में थोक महंगाई 0.26 फीसदी पर देखने को मिली थी. जो नवंबर के महीने में 0.26 फीसदी पर आ गई है. डब्ल्यूपीआई डाटा रिटेल इंफ्लेशन के डाटा के दो दिन बाद आया है. रिटेल महंगाई नवंबर में तीन महीने के उच्चतम स्तर 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जुलाई में 15 महीने के उच्चतम 7.44 फीसदी से अभी भी 189 आधार अंक कम है. इसी अवधि में थोक महंगाई 149 आधार अंक बढ़ी है.

फूड इंफ्लेशन में इजाफा

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स की तरह, फूड इंडेक्स में 1.9 फीसदी की वृद्धि के कारण नवंबर में डब्ल्यूपीआई में भी महीने-दर-महीने 0.5 फीसदी की वृद्धि हुई. सब्जियों की कीमतों में इजाफे की वजह से फूड इंफ्लेशन में इजाफा देखने को मिला है. जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी प्याज की देखने को मिली है. जिसमें 16.5 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. फलों की कीमत में 1.7 फीसदी, गेहूं 1.6 फीसदी और दालें 1.4 फीसदी शामिल हैं, जिससे अक्टूबर में थोक खाद्य महंगाई 1.07 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर में 4.69 फीसदी हो गई.

5 फीसदी से ज्यादा हुई खुदरा महंगाई

इससे एक दिन पहले खुदरा महंगाई यानी सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी हुए थे. नवंबर महीने में खुदरा महंगाई की दर में भी वृद्धि दर्ज की गई है. खुदरा महंगाई अक्टूबर में 4.87 फीसदी तक गिर गई थी, जो नवंबर में बढ़कर 5.5 फीसदी पर पहुंच गई. नवंबर में खुदरा महंगाई पिछले 3 महीने में सबसे ज्यादा रही है.

इस कारण तेज हुई महंगाई

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर महीने के दौरान महंगाई बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण खाने-पीने की चीजों के बढ़े दाम हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने खाने-पीने के सामानों, खनिजों, मशीन एवं उपकरण, कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड ऑप्टिकल प्रोडक्ट्स, मोटर व्हीकल्स, ट्रांसपोर्ट के अन्य इक्विपमेंट और अन्य विनिर्माण आदि के चलते थोक महंगाई में तेजी दर्ज की गई है.

इतनी हो गई फूड आर्टिकल्स की महंगाई

नवंबर में फूड इंफ्लेशन बढ़कर 8.18 फीसदी पर पहुंच गई, जो एक महीने पहले यानी अक्टूबर 2023 में महज 2.53 फीसदी पर थी. इससे पहले खुदरा महंगाई में भी आई तेजी का मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों की तेजी रही. पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समिति की हुई बैठक में रिजर्व बैंक ने भी महंगाई को लेकर आशंकाएं जाहिर की थी. इस कारण रिजर्व बैंक ने दिसंबर की एमपीसी बैठक में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. रिजर्व बैंक रेपो रेट पर निर्णय लेते समय खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर गौर करता है.

मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमत में राहत

समान अवधि में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में थोड़ा बदलाव देखने को मिला है. इस इंडेक्स में में मात्र 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई को कंट्रोल में रखने से प्रमुख कच्चे माल की कीमत में कमजोरी आई. सेमी फिनिश्ड स्टील का प्राइस इंडेक्स अक्टूबर की तुलना में 1.5 फीसदी और बेसिक मेटल्स का प्राइस 0.9 फीसदी कम हुआ है. फिनिश्ड प्रोडक्ट्स में भी, चमड़े और संबंधित प्रोडक्ट्स की कीमतों में 0.6 फीसदी की गिरावट देखी गई, जबकि फार्मा और रबर और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स की कीमतों में 0.3-0.4 फीसदी की गिरावट आई. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतें, जो डब्ल्यूपीआई बास्केट का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं, लगातार तीन महीनों से स्टेबल हैं.

जीडीपी के लिए है खतरनाक

नवंबर में शून्य से ऊपर बढ़ने के बावजूद, वित्त वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीनों में औसत WPI महंगाई नेगेटिव बनी हुई हैं, जो -1.33 फीसदी है. जबकि आने वाले महीनों में इसके और बढ़ने की उम्मीद है, अर्थशास्त्री व्यापक रूप से इसे पूरे वर्ष के लिए औसतन 1 फीसदी के आसपास देखते हैं. यह देश की नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है, जिसे 2023-24 के बजट में टैक्स कलेक्शन और दूसरे पूर्वानुमान लगाते समय 10.5 फीसदी माना जाएगा. फ्रेश आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 8.6 फीसदी थी.

 

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