अन्तर्राष्ट्रीय

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने वैश्विक व्यापार में मची उथल-पुथल के बीच राहत

वाशिंगटन
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने गुरुवार को वैश्विक व्यापार में मची उथल-पुथल के बीच राहत भरी खबर दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका में बढ़ते टैरिफ से वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर होगी और इस वर्ष महंगाई भी बढ़ेगी लेकिन ये वैश्विक मंदी का कारण नहीं बनेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि बढ़ते व्यापारिक तनाव और वैश्विक व्यापार प्रणाली में हो रहे बड़े बदलावों के चलते IMF अपनी आर्थिक विकास दर के पूर्वानुमानों में गिरावट करेगा, लेकिन वैश्विक मंदी की आशंका नहीं है।

आईएमएफ के अगले सप्ताह जारी किए जाने वाले अनुमानों के आधार पर उन्होंने यह बात कही। जॉर्जीवा ने कहा कि अमेरिका की ओर से लगाए गए नए टैरिफ और चीन तथा यूरोपीय संघ की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को झकझोर दिया है। इससे व्यापार नीति में "अत्यधिक अनिश्चितता" और वित्तीय बाजारों में "बेहद अस्थिरता" देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा, “व्यवधानों की कीमत चुकानी पड़ती है… हमारे नए विकास अनुमान में महत्वपूर्ण गिरावट शामिल होगी लेकिन मंदी नहीं होगी।”

जॉर्जीवा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा शुल्क की दरों में की गई वृद्धि ने वैश्विक अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘आयात शुल्क वैश्विक वृद्धि को धीमा कर देंगे और महंगाई बढ़ेगी लेकिन ये दुनिया भर में मंदी का कारण नहीं बनेंगे।’’ जॉर्जीवा ने कहा कि वैश्विक व्यापार प्रणाली में बड़े बदलावों से विश्व अर्थव्यवस्था के जुझारूपन की परीक्षा ली जा रही है जिससे वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मचने का खतरा है। IMF की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीति और वैश्विक बाजार में हलचल के चलते दुनिया भर के केंद्रीय बैंकर और वित्त मंत्री वाशिंगटन की बैठक में भाग लेने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि शुल्क अनिश्चितता का कारण बनते हैं, जो महंगा पड़ सकता है। सप्लाई चैन की जटिलता से कई देशों में शुल्क के कारण एक-एक वस्तु की लागत प्रभावित हो सकती है। व्यापार बाधाओं में वृद्धि से भी वृद्धि पर तत्काल प्रभाव पड़ता है, तथा यद्यपि इससे घरेलू उत्पादन में वृद्धि हो सकती है लेकिन इसे ऐसा होने में समय लगता है। हालांकि, आईएमएफ प्रमुख ने अमेरिकी प्रशासन की कुछ चिंताओं को भी दोहराया। उन्होंने देशों से शुल्क कम करने और व्यापार में अन्य बाधाओं को कम करने का आह्वान किया। आईएमएफ का पूर्ण आकलन अगले मंगलवार को जारी किया जाएगा।

आर्थिक स्थिति और बाजार पर चिंता
जॉर्जीवा ने कहा कि विश्व की वास्तविक अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत है—मजबूत श्रम बाजार और स्थिर वित्तीय प्रणाली अभी भी है। लेकिन उन्होंने यह भी आगाह किया कि अगर आर्थिक मंदी को लेकर नकारात्मक धारणाएं बनीं, तो इसका असर वास्तविक आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “संकट के दौर में मैंने यह सीखा है कि धारणा जितनी महत्वपूर्ण होती है, उतनी ही हकीकत भी होती है। अगर धारणा नकारात्मक हो जाए, तो वह अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।”

टैरिफ का असर और संभावित महंगाई
IMF ने जनवरी में 2025 और 2026 के लिए वैश्विक विकास दर 3.3% रहने का अनुमान लगाया था। अब यह संस्था मंगलवार को अपना नया ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ जारी करेगी। जॉर्जीवा ने यह नहीं बताया कि नए अनुमानों में कितनी गिरावट होगी, लेकिन उन्होंने चेताया कि यह गिरावट “महत्वपूर्ण” होगी। महंगाई को लेकर उन्होंने कहा कि टैरिफ से कुछ देशों में उपभोक्ता और उत्पादक कीमतों में इजाफा हो सकता है, जबकि कहीं-कहीं खर्च में कटौती से महंगाई घट भी सकती है। कुल मिलाकर, कुछ देशों के लिए महंगाई बढ़ने का अनुमान है।

अमेरिका और चीन से की सहयोग की अपील
जॉर्जीवा ने कहा कि व्यापार तनाव कोई नया नहीं है; अमेरिका, चीन और अन्य देशों के बीच शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं पहले से बनी हुई थीं, लेकिन अब स्थिति और बिगड़ गई है। उन्होंने आग्रह किया कि अमेरिका और चीन, जो विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, मिलकर एक निष्पक्ष और नियम-आधारित व्यापार व्यवस्था के लिए समाधान खोजें, क्योंकि इससे छोटे देशों पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा, “संरक्षणवाद दीर्घकाल में उत्पादकता को नुकसान पहुंचाता है, खासकर छोटे देशों में। उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बचाने की कोशिश नवाचार और उद्यमिता को भी नुकसान पहुंचाती है।”

IMF की सिफारिशें
IMF प्रमुख ने देशों से आग्रह किया कि वे मौद्रिक नीति में लचीलापन बनाए रखें, वित्तीय बाज़ारों की निगरानी करें, और आर्थिक सुधारों को जारी रखें। विकासशील देशों को अपने विनिमय दरों में लचीलापन बनाए रखने की सलाह दी गई, जबकि समृद्ध देशों से कमजोर देशों को सहायता बनाए रखने की अपील की गई। उन्होंने कहा, “हमें अधिक लचीली वैश्विक अर्थव्यवस्था की जरूरत है, न कि विभाजन की ओर बहाव की। सभी देशों, बड़े हों या छोटे, को इस अनिश्चित दौर में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button