राष्ट्रीय

जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने अपने पहले प्रस्ताव में राज्य का दर्जा बहाल करने का किया आग्रह

श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक के पहले प्रस्ताव में राज्य का दर्जा बहाल करने का आह्वान किया गया।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि  पहली बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया गया।

जानकारी मिली है कि कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने वाले मुख्यमंत्री दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री को प्रस्ताव का मसौदा सौपेंगे और उनसे चार अगस्त, 2019 से पहले की तरह राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह करेंगे।
कैबिनेट की ओर से पारित प्रस्ताव पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने कल की कैबिनेट बैठक में किसी भी फैसले के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी खुलासा नहीं किया।

जम्मू-कश्मीर में नए मंत्रियों में हुआ विभागों का बंटवारा

 जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदेश में सरकार गठन के बाद नये मंत्रियों को विभाग सौंप दिये हैं। उप मुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को लोक निर्माण (आर एंड बी), उद्योग एवं वाणिज्य, खनन, श्रम एवं रोजगार और कौशल विकास विभाग सौंपे गए हैं।
सुसकीना इटू स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और समाज कल्याण का प्रबंधन करेंगी। इसी तरह जावेद अहमद राणा को जल शक्ति, वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण और जनजातीय मामलों का प्रभार दिया गया है।
जावीद अहमद डार को कृषि उत्पादन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, सहकारिता और चुनाव की जिम्मेदार दी गयी है।
सतीश शर्मा खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले, परिवहन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, युवा सेवा और खेल तथा एआरआई और प्रशिक्षण विभाग संभालेंगे।
उपराज्यपाल ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर सरकार के कामकाज के लेन-देन नियम, 2019 के नियम 4 (2) के अनुसार मंत्रियों को प्रभार सौंपा। आदेश में यह भी कहा गया है कि इन मंत्रियों को आवंटित नहीं किए गए कोई भी अन्य विभाग या विषय मुख्यमंत्री के पास रहेंगे।
गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के लिए पांच मंत्रियों को चुना- दो कश्मीर से और तीन जम्मू से। उमर ने पहले 2008 से 2014 तक जम्मू-कश्मीर सरकार का नेतृत्व किया था, जब यह क्षेत्र पूर्ण राज्य था और इसे अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त था।

 

 

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