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साल 2024 सितंबर से पहले जेवर एयरपोर्ट का काम पूरा हो जाएगा

नई दिल्ली
 यमुना अथॉरिटी एरिया के जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Jewar Airport) का काम तेजी से चल रहा है। टाटा प्रोजेक्ट टर्मिनल बिल्डिंग, एटीसी और रनवे का निर्माण कर रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, एयरपोर्ट पर नेविगेशन और सर्विलांस उपकरण लगने शुरू हो गए हैं। अब यमुना एक्सप्रेसवे से जेवर एयरपोर्ट अप्रैल तक जुड़ जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में हुई नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नायल) की बैठक में सभी एजेंसियों से समन्वय बनाकर समय से काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जेवर एयपोर्ट का काम सितंबर 2024 से पहले पूरा हो जाएगा। सितंबर से एयरपोर्ट पर उड़ानें शुरू हो जाएंगी। जेवर एयरपोर्ट का काम निर्माण निर्धारित समय पर पूरा हो जाएगा।

तेजी से पूरा किया जा रहा काम

जेवर में एयरपोर्ट का काम इस समय युद्ध स्तर पर चल रहा है। करीब 7 हजार से ज्यादा वर्कर यहां 24 घंटे काम कर रहे हैं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुविधाओं को विकसित किए जाने की योजनाओं को तैयार किया जा रहा है। साल के अंत तक एयरपोर्ट को फुल ऑपरेशनल बनाया जा सकता है। इस प्रकार की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए विशेष योजनाओं को तैयार किया गया है। नोएडा एयरपोर्ट ने विमानन सेवाओं के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ समझौता किया है। इसके तहत इस एयरपोर्ट को दुनिया की सबसे अत्याधुनिक तकनीक और उपकरण मुहैया कराई जानी है। एयर ट्रैफिक सेवाओं पर मौसम का असर नहीं पड़ेगा। हर मौसम में फ्लाइट के लैंडिंग और टेकऑफ की सुविधा दिए जाने की तैयारी है।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी देश में सबसे बेहतर बनाए जाने की योजना है। जेवर एयरपोर्ट को तत्काल कई सड़कों से जोड़ा जा रहा है। हाईस्पीड कनेक्टिविटी में समय लग सकता है।

इस वजह से खास है जेवर एयरपोर्ट

यह एयरपोर्ट उत्‍तर प्रदेश का पांचवां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा। देश में अभी तक तमिलनाडु और केरल ही ऐसे राज्य हैं जहां 4-4 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। अब आने वाले समय में उत्‍तर प्रदेश सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला राज्‍य हो जाएगा। राज्‍य में 2012 तक केवल दो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे थे। यह भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। जेवर एयरपोर्ट का निर्माण 5,845 हेक्टेयर जमीन पर हो रहा है। यहां से एक साथ कम से कम 178 विमान उड़ान भर सकेंगे।

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