कंगना रनौत देखने निकलीं हिमाचल का हाल, गाड़ी छोड़ पैदल चढ़ीं पहाड़
शिमला
सालों तक बॉलीवुड की चकाचौंध में रहीं कंगना रनौत राजनीति में एंट्री के बाद जमीन पर लोगों की मुश्किलों को करीब से देख रही हैं। रैंप पर कैटवॉक करके लाखों लोगों को अपना फैन बनाने के बाद वह पहाड़ों की कठिन चढ़ाई करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंच बना रही हैं। मंडी से लोकसभा सांसद कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश के दुर्गम इलाकों में जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। तबाही के निशान देखकर वह बेहद भावुक नजर आईं और धरती माता से दया की प्रार्थना की।
शिमला जिले के रामपुर में पिछले दिनों बादल फटने से भारी तबाही हुई। कंगना रनौत ने अपने टीम के साथ प्रभावित इलाके में जाकर हालात का जायजा लिया। उन्होंने पीड़ित लोगों से मुलाकात की और उनका दुख-दर्द साझा किया। उन्होंने केंद्र सरकार तक प्रभावित लोगों की बात पहुंचाकर उचित मदद का भरोसा दिया। पीड़ितों तक पहुंचने के लिए कंगना को भी पहाड़ों की चोटियों पर पैदल चढ़ना पड़ा। सड़क क्षतिग्रस्त होने की वजह से गाड़ियों को काफी पहले रोकना पड़ा।
कंगना रनौत जमीनी हालत देखकर बेहद भावुक दिखीं। उन्होंने एक्स पर अपने दौरे की तस्वीरें साझा करते हुए धरती माता से दया की प्रार्थना की। कंगना ने लिखा, 'हिमाचल प्रदेश में आज बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही हूं। इस विशाल ब्रह्मांड में हम बेहद असुरक्षित हैं। हे धरती देवी, जीवन की माता, हम पर दया करो।'
पत्रकारों से बातचीत में भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा, 'राज्य सरकार की हालत सभी को पता है। पिछली बार के विस्थापितों से वादा किया था कि केंद्र से जो फंड आया उससे 7-7 लाख सभी को दिए जाएंगे। क्या वो 7 लाख मिला? … गांव के लोग खुद अपने हाथों से पुल बना रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी अवश्य पैकेज भेजेंगे, उन्होंने पिछली बार भी 1800 करोड़ का पैकेज भेजा था, अब भी भेजेंगे और वो जाएगा सुक्खू जी को। मैं कहूंगी कि वो पैसे विस्थापितों मिलेगा या नहीं इस पर जांच शुरू जाए। यहां जो भी भ्रष्टाचार का नाच शुरू किया गया है उस पर लगाम लगाई जाए।'
हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ के कारण जान गंवाने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर 14 हो गई, जबकि करीब 40 लोग अब भी लापता हैं। हिमाचल प्रदेश में 31 जुलाई की रात को कुल्लू के निरमंड, सैंज व मलाना, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपसंभाग में बादल फटने की घटनाओं के बाद करीब 40 लोग लापता हैं। वहीं, सबसे ज्यादा नुकसान शिमला और कुल्लू जिले की सीमा पर स्थित समेज गांव को हुआ, जहां 30 से ज्यादा लोग लापता बताये जा रहे हैं।