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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नागमंगला में पुरातत्व स्थल के आसपास अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया

बेंगलुरु.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की निष्क्रियता पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मांड्या के उपायुक्त को नागमंगला में सौम्यकेशव मंदिर के आसपास अनधिकृत और अवैध निर्माण के लिए जारी किए गए नोटिस का पालन करने और कानून के अनुसार उन्हें हटाने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की पीठ ने शनिवार को मांड्या के उपायुक्त को दो सप्ताह में कन्नड़ और अंग्रेजी समाचार पत्रों में सार्वजनिक कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद पीठ ने कहा कि अवैध अतिक्रमण को चार सप्ताह में हटाया जाना चाहिए। इस पुरातत्व स्थल के आसपास कुल 1,566 निर्माण पाए गए हैं।

अधिकारियों को अब यह निर्धारित करना होगा कि इनमें से कौन अवैध हैं। नागमंगला के निवासियों बीवी लोकेश और वसंत कुमार ने 2015 में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष, अधिनियम, 1958 का उल्लंघन करते हुए मंदिर से 120 मीटर की दूरी पर एक जामा मस्जिद का निर्माण किया गया था।

होयसल राजा विष्णुवर्धन द्वारा 12वीं शताब्दी में बनाया गया यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक संरक्षित स्मारक है। जनहित याचिका में कहा गया है कि अधिनियम के अनुसार, संरक्षित पुरातत्व स्मारक से 200 मीटर की दूरी पर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता। इस साल नौ अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने मांड्या के उपायुक्त को पेश होने का निर्देश दिया था, जिसके तहत शनिवार को वह अदालत में पेश हुए।

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