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मध्य प्रदेश में 11 दिसंबर को विधायक दल की बैठक, होगा विधायक दल के नेता का चयन

भोपाल
मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री को लेकर जारी सस्पेंस सोमवार 11 दिसंबर को खत्म होने की संभावना है। भाजपा के 163 नवनिर्वाचित विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में सोमवार को एक बैठक में अपने नेता का चयन करेंगे। पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। 17 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जिसके नतीजे पिछले रविवार को घोषित किए गए, भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। पार्टी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में अपने विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, अपने ओबीसी मोर्चा प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया।

मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री को लेकर जारी सस्पेंस सोमवार को खत्म होने की संभावना है। भाजपा के 163 नवनिर्वाचित विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में सोमवार को एक बैठक में अपने नेता का चयन करेंगे।

पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी।

17 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जिसके नतीजे पिछले रविवार को घोषित किए गए, भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।

पार्टी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में अपने विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, अपने ओबीसी ‘मोर्चा’ प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया।

मध्य प्रदेश भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख आशीष अग्रवाल ने शनिवार को बताया, ”केंद्रीय पर्यवेक्षक सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।”

उन्होंने कहा कि बैठक का कार्यक्रम तय होने के बाद इसे मीडिया के साथ साझा किया जाएगा।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक सोमवार शाम पांच बजे या सात बजे के बीच किसी भी समय शुरू होने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि बैठक पहले रविवार को होने वाली थी, लेकिन पर्यवेक्षकों के व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे सोमवार तक के लिए टाल दिया गया।

सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों के रविवार शाम या सोमवार सुबह मध्य प्रदेश पहुंचने की संभावना है।

पिछले 19 साल में यह तीसरी बार है जब भाजपा मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेज रही है।

अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था। नवंबर 2005 में, जब बाबूलाल गौर ने राज्य में शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तो विधायकों को नया मुख्यमंत्री चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था।

उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था।

इस बार, भगवा पार्टी ने मौजूदा मुख्यमंत्री चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा। ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस बार भाजपा 15 महीने के अंतराल को छोड़कर भारत में भाजपा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान की जगह किसी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। चौहान मप्र के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भी हैं।

ऐसी स्थिति में लोधी समुदाय से आने वाले प्रह्लाद पटेल मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हो सकते हैं । वह नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। लोधी ओबीसी समुदाय का हिस्सा हैं।

इस तथ्य को देखते हुए कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है, भाजपा नेतृत्व 2003 के बाद से राज्य में शीर्ष पद के लिए ओबीसी नेताओं के साथ गया है। इससे पहले उसने उमा भारती को आगे बढ़ाया था जो कि एक लोधी हैं। एक साल बाद, पार्टी ने एक और ओबीसी, बाबूलाल गौर और फिर 2004 में चौहान पर अपना दांव लगाया ।

इस बीच, प्रह्लाद पटेल शुक्रवार को यहां थे और उन्होंने राज्य विधानसभा परिसर और मुख्यमंत्री निवास पहुंच कर चौहान से मुलाकात की।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा के राज्य प्रमुख वीडी शर्मा अन्य संभावित उम्मीदवारों में से हैं। नरेंद्र तोमर का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है जो दिमनी से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं।

चारों बड़े दिग्गज पटेल, तोमर, विजयवर्गीय और वीडी शर्मा पहले ही नई दिल्ली में गृह मंत्री और भाजपा के मास्टर रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से भी मुलाकात की।

इन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस बात से इनकार किया है कि वे मुख्यमंत्री बनने की होड़ में हैं।

 

पार्टी सूत्रों के अनुसार विधायक दल की बैठक में सभी 163 नवनिर्वाचित विधायक शामिल होंगे। बैठक में पार्टी की ओर से नियुक्त किए गए केन्द्रीय पर्यवेक्षक और प्रदेश संगठन के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे।विधायक दल की बैठक में चुना गया नेता ही राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा। विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल भाजपा ने 163 सीटों पर विजय हासिल कर स्वयं को सत्ता में बरकरार रखा है।

राज्य में फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अतिरिक्त पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आ रहा है। पार्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के लक्ष्मण और पार्टी सचिव आशा लाकड़ा को मध्यप्रदेश के लिए पर्यवेक्षक बनाया है।

हो चुका है पर्यवेक्षकों के नाम का एलान
बता दें कि, मध्य प्रदेश में केंद्रीय नेतृत्व ने 8 दिसंबर को पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान कर दिया है। मध्य प्रदेश में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण और पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।

शिवराज चौहान पर सस्पेंस
अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था। नवंबर 2005 में, जब बाबूलाल गौर ने राज्य में शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तो विधायकों को नया मुख्यमंत्री चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था। उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था। इस बार BJP ने मौजूदा मुख्यमंत्री चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा। ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया।

प्रह्लाद पटेल का दावा मजबूत
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस बार भाजपा 15 महीने के अंतराल को छोड़कर भारत में भाजपा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान की जगह किसी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। चौहान मप्र के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भी हैं। ऐसी स्थिति में लोधी समुदाय से आने वाले प्रह्लाद पटेल मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हो सकते हैं । वह नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। लोधी ओबीसी समुदाय का हिस्सा हैं। इस तथ्य को देखते हुए कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है, भाजपा नेतृत्व 2003 के बाद से राज्य में शीर्ष पद के लिए ओबीसी नेताओं के साथ गया है। इससे पहले उसने उमा भारती को आगे बढ़ाया था जो कि एक लोधी हैं। एक साल बाद, पार्टी ने एक और ओबीसी, बाबूलाल गौर और फिर 2004 में चौहान पर अपना दांव लगाया ।

नरेंद्र तोमर का भी नाम चर्चा में

इस बीच, प्रह्लाद पटेल शुक्रवार को यहां थे और उन्होंने राज्य विधानसभा परिसर और मुख्यमंत्री निवास पहुंच कर चौहान से मुलाकात की। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा के राज्य प्रमुख वीडी शर्मा अन्य संभावित उम्मीदवारों में से हैं। नरेंद्र तोमर का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है जो दिमनी से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। चारों बड़े दिग्गज पटेल, तोमर, विजयवर्गीय और वीडी शर्मा पहले ही नई दिल्ली में गृह मंत्री और भाजपा के मास्टर रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से भी मुलाकात की। इन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस बात से इनकार किया है कि वे मुख्यमंत्री बनने की होड़ में हैं।

 

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