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मालेगांव ब्लास्ट केस से बरी लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित का प्रमोशन, मिली नई रैंक

नई दिल्ली

मालेगांव केस में बरी हुए लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को प्रमोशन मिला है। खबर है कि उन्हें कर्नल रैंक पर प्रमोट किया गया है। कुछ हफ्तों पहले ही NIA यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की विशेष अदालत ने उन्हें पूर्व भारतीय जनता पार्टी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत 7 लोगों के साथ बरी किया है। अदालत का कहना था कि इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले थे, जिससे साबित हो कि आरडीएक्स लाने या बम बनाने में पुरोहित की भूमिका हो।

सोशल मीडिया पर पुरोहित के पिपिंग समारोह की तस्वीरें भी जमकर शेयर की जा रहीं हैं। वह साल 1994 में मराठा लाइट इन्फेंट्री में शामिल हुए थे। वह जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन्स में शामिल रहे हैं। पिपिंग समारोह उस आयोजन को कहा जाता है, जहां किसी अधिकारी को उसके प्रमोशन के समय कंधे पर नए पद के चिन्ह लगाए जाते हैं।

31 जुलाई को बरी होने के बाद पुणे पहुंचे पुरोहित ने कहा था, 'एक सैन्यकर्मी के रूप में मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कोई दुश्मन भी मेरी देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति निष्ठा पर सवाल नहीं उठा सकता। अदालत में अपनी दलीलों के दौरान मैंने इस बात पर जोर दिया कि मुझे कुछ भी कहा जाए, लेकिन आतंकवादी या देशद्रोही नहीं कहा जाए।'
मालेगांव ब्लास्ट

मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 घायल हुए थे। इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन केवल सात लोगों पर ही मुकदमा चला, क्योंकि आरोप तय होने के समय बाकी सात को बरी कर दिया गया था।

ठाकुर और पुरोहित के अलावा, आरोपियों में मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।

जब पुरोहित को एटीएस ने गिरफ्तार किया था तब वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत थे। उनके खिलाफ उन बैठकों में शामिल होने का आरोप था, जहां विस्फोट की कथित साजिश रची गई थी। पुरोहित को नवंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था और सितंबर 2017 में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी।

अदालत को दिए अपने अंतिम बयान में, पुरोहित ने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनके खिलाफ झूठा मामला गढ़ा है।

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