राष्ट्रीय

इंडिया में बढ़ गई लोगों की उम्र और कमाई, तारीफ में UN बोला- अद्भुत सफलता

नई दिल्ली

भारत में लोगों की औसत उम्र अब बढ़ गई है। अब देश में लोगों की औसत उम्र 67.7 साल  हो गई है, जो अब तक 62.7 साल थी। इसके अलावा भारत की सकल राष्ट्रीय आय में भी इजाफा हुआ है। देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 6951 डॉलर हो गई है। वहीं संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक में भारत 193 देशों में से 134वें स्थान पर आ गया है। यह पिछले साल की तुलना में बेहतर है। मानव विकास की बेहतर स्थिति की बदौलत भारत इस बार मध्यम मानव विकास श्रेणी में आ गया। इसके अलावा इस बार भारत ने लैंगिक असमानता सूचकांक में भी प्रगति दिखाई है।

भारत की इस प्रगति पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भी शाबाशी दी है। यूएन इस देश की स्थिति में इस तरह के सुधार को शानदार बताया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के देश प्रतिनिधि केटलिन विसेन ने कहा, "भारत ने पिछले कुछ वर्षों में मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है। 1990 के बाद से, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 9.1 वर्ष बढ़ गई है, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 4.6 वर्ष बढ़ गए हैं और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 3.8 वर्ष बढ़ गए हैं।"

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम- यूएनडीपी की एक रिपोर्ट 'मानव विकास रिपोर्ट 2023- 2024' के सूचकांक में भारत में लैंगिक असमानता में गिरावट देखी गई है। यूएनडीपी ने लैंगिक असमानता सूचकांक 2022 जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक असमानता सूचकांक (जीआईआई) 2022 में भारत 0.437 स्कोर के साथ 193 देशों में से 108वें स्थान पर है। लैंगिक असमानता सूचकांक 2021 में भारत 0.490 स्कोर के साथ 191 देशों में से 122वें स्थान पर रहा।

कितनी सुधरी भारत की स्थिति
रिपोर्ट में जीआईआई 2021 की तुलना में जीआईआई 2022 में 14 पायदान की महत्वपूर्ण छलांग दर्शाता है। पिछले 10 वर्षों में, जीआईआई में भारत की वरीयता लगातार बेहतर हुई है, जो देश में लैंगिक समानता हासिल करने में प्रगतिशील सुधार का संकेत देती है। वर्ष 2014 में यह रैंक 127 थी, जो अब 108 हो गई है।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास महिला मंत्रालय के अनुसार यह सरकार के दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य से नीतिगत सुधारों से महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित निर्णायक एजेंडे का परिणाम है। लड़कियों की शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता सुविधा और कार्यस्थल में सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर पहल शामिल हैं। इन क्षेत्रों में नीतियां और कानून सरकार के 'महिला-नेतृत्व वाले विकास' एजेंडे को चला रहे हैं।

मानव विकास सूचकांक क्या है?
मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में मानव विकास के स्तर का मूल्यांकन और तुलना करने के लिए सृजित एक समग्र सांख्यिकीय मापक है। इसे वर्ष 1990 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) जैसे पारंपरिक आर्थिक मापकों—जो मानव विकास के व्यापक पहलुओं पर विचार नहीं करते है, के एक विकल्प के रूप में पेश किया गया था। यह रैंकिंग किसी देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय की स्थिति को दर्शाता है। इसे चार मापदंडों पर मापा जाता है, जिसमें – जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय शामिल है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/ metro.jrs.or.id sim.kotaprabumulih.go.id web.sip.pn-kotaagung.go.id web.unras.ac.id