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मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ने ‘तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना’ पर एमओयू साइन साइन किया

भोपाल
मध्यप्रदेश के लिए 10 मई का दिन बेहद खास रहा। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने ज्ञान (गरीब-युवा-अन्नदाता-नारी शक्ति) को लेकर एक और ठोस कदम उठाया। दरअसल, शनिवार को मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ने 'तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना' पर एमओयू साइन साइन किया। इस परियोजना से मध्यप्रदेश में एक लाख और महाराष्ट्र में 2 लाख से ज्यादा हैक्टेयर जमीन पर सिंचाई होगी।

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की इस संयुक्त परियोजना से हजारों किसानों को फायदा पहुंचेगा। दोनों सरकारों के बीच ये एमओयू महाराष्ट्र अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 28वीं बैठक के बाद हुआ। यह बैठक राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ कंवेंशन सेंटर में हुई। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ-साथ महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस भी मौजूद थे।
 
दोनों मुख्यमंत्रियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने एमओयू साइन कर एक-दूसरे के साथ फाइलों का आदान प्रदान किया। इस मौके पर सीएम यादव ने कहा कि आज महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के रिश्तों के नए अध्याय की शुरुआत हुई है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने दो राज्यों के बीच होने वाले नदी के समझौतों को गंभीरता से लिया और उसके लिए कोष की व्यवस्था की।

गोदावरी और ताप्ती नदी को लेकर हमारा और महाराष्ट्र का अलग संबंध है। ताप्ती नदी का महत्व मां नर्मदा की तरह है। मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। यहां से 247 से ज्यादा नदियां बहती हैं। हमारे प्रदेश में कोई ग्लैशियर नहीं है, लेकिन उसके बाद जलराशि इतनी ज्यादा है कि वो गंगा-यमुना से ज्यादा पानी दूसरे प्रदेशों को देती है।

हमारी नदियां देश के हर राज्य की नदी से जुड़ी हैं और उन्हें लाभ प्रदान कर रही हैं। इससे लागत मे बचत होगी। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर को नासिक के त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर और घृष्णेश्वर से जोड़कर धार्मिक पर्यटन का सर्किट बनाएंगे।
राज्यों की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी- महाराष्ट्र सीएम फडणवीस

    कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज का दिन एतिहासिक है, क्योंकि, कई वर्षों से तापी रीचार्ज का प्रोजेक्ट संकल्पित हुआ था। लेकिन, किन्हीं कारणों से पीछे रहा था।
    आज दोनों राज्यों ने उस पर सहमति व्यक्त की है। हमने उस पर आज हस्ताक्षर भी कर दिए। 25 साल बाद आज अंतरराज्यीय नियंत्रण बोर्ड की मीटिंग हुई।
    साल 2016 में मोदी सरकार आने के बाद अंतरराज्यीय पानी के समझौतों को एक बल दिया गया। और, उसके तहत हमने फिर इस पर विचार शुरू किया।
    मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इसमें तेजी दिखाई और प्रोजेक्ट को इस स्तर तक ले आए। तापी मेगा प्रोजेक्ट दुनिया का अजूबा है।
    हम जब साइट पर गए तो लगा कि एक गुप्त नदी आती है और पानी कूएं में जाता है। लगातार 24 घंटे तक पानी जाने के बावजूद भी कूएं का जलस्तर ओवरफ्लो नहीं होता।
    इसलिए इस प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को बड़ा फायदा होने वाला है। इससे ओकाला, बुलढाणा, अमरावती की सूरत बदल जाएगी। लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
    किसानों का जीवन बदल जाएगा। ये दोनों राज्यों की अर्थव्यस्था को भी गति देगा। मैं नागपुर से आता हूं।
    नागपुर विदर्भ का हिस्सा है और विदर्भ प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। इस तरह हमारा और मध्यप्रदेश का गहरा नाता है।

 

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