अन्य राज्यमध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश का शीर्ष स्थान बरकरार, देश में सभी प्रदेशों से अधिक वन क्षेत्र

भोपाल

मध्यप्रदेश, देश में वन और वृक्ष आवरण में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की संस्कृति वाला हमारा देश सम्पूर्ण जीव-जगत को भी अपना कुटुम्ब ही मानता है। हम सदियों से वनों, पहाड़ों और नदियों को पूजते चले आ रहे हैं। पूर्वजों की इस परंपरा को सहेजे जाने के लिए जैव-विविधता का संरक्षण आवश्यक है। आने वाली पीढ़ियों के लिये वन जीवन को सहेजकर रखना हमारी जिम्मेदारी है।

मध्यप्रदेश कुल वन और वृक्ष आवरण 85 हजार 724 वर्ग किलोमीटर और वनावरण 77.073 वर्ग किलोमीटर के साथ देश का अग्रणी राज्य है। यहां वनों को प्रकृति ने अकूत सम्पदा का वरदान देकर समृद्ध किया है। प्रदेश में 30.72 प्रतिशत वन क्षेत्र है जो देश के कुल वन क्षेत्र का 12.30 प्रतिशत है। यहां कुल वन क्षेत्र 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर (94 लाख 68 हजार 900 हेक्टेयर) है। प्रदेश में 24 अभयारण्य, 11 नेशनल पार्क और 8 टाईगर रिजर्व हैं, जिसमें कान्हा, पेंच, बाँधवगढ़, पन्ना, सतपुड़ा और संजय डुबरी टाईगर रिजर्व बाघों के संरक्षण में लैंडमार्क बन गए हैं।

बाघों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिये उठाए जा रहे महत्वपूर्ण कदम

मध्यप्रदेश में बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं। हाल ही में राजधानी भोपाल से सटे रातापानी अभयारण्य को प्रदेश का 8वां टाईगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है। शिवपुरी के माधव वन्य जीव उद्यान को भी टाईगर रिजर्व घोषित के जाने की तकनीकी अनापत्ति जारी कर दी गई है, उम्मीद है कि शीघ्र ही यह प्रदेश का 9वां टाईगर रिजर्व बन जाएगा। रातापानी हमेशा से ही बाघों का घर रहा है। रायसेन एवं सीहोर जिले में रातापानी अभयारण्य का कुल 1272 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित है। टाईगर रिजर्व बनने के बाद कुल क्षेत्रफल में से 763 वर्ग किलोमीटर को कोर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह वह क्षेत्र है, जहाँ बाघ मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्र विचरण कर सकेंगे। शेष 507 वर्ग किलोमीटर को बफर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह क्षेत्र कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थित है। इसका उपयोग कुछ प्रतिबंधों के साथ स्थानीय रहवासी कर सकेंगे, इनकी आजीविका इस क्षेत्र से जुड़ी हुई है। रातापानी की अर्बन फॉरेस्ट से समीपता के कारण भोपाल को अब टाईगर राजधानी के रूप में पहचान मिलेगी। रातापानी के टाईगर रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिये रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।

मध्यप्रदेश ने सबसे पहले लागू किया वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम

मध्यप्रदेश ने देश में सबसे पहले वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम लागू किया। प्रदेश में वर्ष 1973 में वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। प्रदेश के सतपुड़ा टाईगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है। मध्यप्रदेश में सफेद बाघों के संरक्षण के लिये मुकुंदपुर में महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव व्हाइट टाईगर सफारी की स्थापना की गई है, इसे विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। वन्य जीव विशेषज्ञों ने सतपुड़ा टाईगर रिजर्व को बाघ सहित कई वन्य-जीवों के प्रजनन के लिए सर्वाधिक अनुकूल स्थान माना है, इसलिए यह इनके लिए आदर्श आश्रय स्थली है। पेंच टाईगर रिजर्व की ‘कॉलर वाली बाघिन’ के नाम से प्रसिद्ध बाघिन को सर्वाधिक 8 प्रसवों में 29 शावकों को जन्म देने के अनूठे विश्व-कीर्तिमान के कारण ‘सुपर-मॉम’ के नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह कान्हा टाईगर रिजर्व में पाए जाने वाले हार्ड ग्राउण्ड बारहसिंगा का संरक्षण भी देश ही नहीं दुनिया भर के लिए विशेष है। इसलिए मध्यप्रदेश में इसे राजकीय पशु का दर्जा दिया गया है।

चीतों की पुनर्स्थापना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विशेष रुचि एवं अथक प्रयासों के फलस्वरूप कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीतों की पुनर्स्थापना की गई। अब इनका कुनबा बढ़ने भी लगा है, जो हमारे लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश को गौरवान्वित किया है। भारत में 13 हजार से भी अधिक तेंदुए हैं, जिसमें से 25 प्रतिशत तेंदुए मध्यप्रदेश में हैं। प्रदेश में तेंदुओं की संख्या 3300 से अधिक है। देश में तेंदुओं की आबादी में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मध्यप्रदेश में यह वृद्धि 80 प्रतिशत आंकी गई है। घड़ियाल, गिद्धों, भेड़ियों, तेंदुओं और भालुओं की संख्या में भी मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है।

मध्यप्रदेश बाघों का घर होने के साथ ही तेंदुओं, चीतों, गिद्धों और घड़ियालों का भी आँगन है। दुर्लभ स्तनपायी मछली डॉल्फिन भी अत्यंत साफ-सुथरी चंबल में संरक्षित की जा रही है। इस तरह मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की जैव-विविधता को सम्पन्न बनाने में भी अपना योगदान दे रहा है।

वन्य जीव कॉरिडोर बनने से कम होगा मानव-वन्य जीव संघर्ष

बाघ एवं तेंदुआ स्टेट का सम्मान मध्यप्रदेश को मिला हुआ है। हमारे प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के अतिरिक्त खुले वनों में भी 30 प्रतिशत से अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। इससे मानव-वन्य जीव संघर्ष की आशंका बढ़ गई है। मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिये विशेष वन्यजीव कॉरिडोर बनाये गये हैं। साथ ही 14 रीजनल रेस्क्यू स्क्वॉड और एक राज्य स्तरीय रेस्क्यू स्क्वॉड का गठन किया गया है। वन्य जीवों को मानव-वन्य जीव संघर्ष के लिए संवेदनशील क्षेत्रों से रेस्क्यू कर संरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा जायेगा, जिससे वन्य जीवों का प्रबंधन एवं संरक्षण अधिक प्रभावी रूप से हो सकेगा।

इन संघर्षों में प्रतिवर्ष औसतन 80 प्रतिशत जनहानि, 15 हजार पशु हानि होती है और 1300 नागरिक घायल होते हैं। मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिये शासन ने जनहानि के प्रकरणों में क्षतिपूर्ति राशि को 8 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का निर्णय लिया है। इन प्रकरणों में लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत 30 दिवस के अंदर क्षति-पूर्ति राशि का भुगतान किया जाता है।

प्रदेश में हाथियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक एलीफेंट-टॉस्कफोर्स का गठन किया गया है। हाथी प्रबंधन के लिये योजना तैयार की जा रही है। इसमें एआई तकनीक के उपयोग से स्थानीय समुदायों की सहभागिता को भी प्रबंधन में सम्मिलत किया जा रहा है। हाथी विचरण क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/ metro.jrs.or.id sim.kotaprabumulih.go.id web.sip.pn-kotaagung.go.id web.unras.ac.id