महाराणा प्रताप नेचुरल हॉर्टिकल्चर के महत्व को पहचानते थे : डा. सुरेश मल्होत्रा
टीम एक्शन इंडिया
राजकुमार प्रिंस
करनाल। महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल में रविवार को वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती व किसान गोष्टी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एमएचयू के कुलपति माननीय डॉ. सुरेश मल्होत्रा व विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रो. वीरेंद्र चौहान ने शिरकत की। जयंती समारोह में जिलाभर से आए प्रगतिशील किसानों ने बढ़-चढकर भाग लिया। अनुसंधान निदेशक डॉ. रमेश गोयल द्वारा मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि को स्मृत्ति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा ने कार्यक्रम में सम्मानित किसान भाई.बहनों का स्वागत करते हुए कहा हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि हमारे विश्वविद्यालय का नाम ऐसे वीर शिरोमणि के नाम पर रखा गया है, जो हम सभी के प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्हीं के नाम और आदर्शों को लेकर ये विश्वविद्यालय आगे बढे का प्रयास कर रहा है। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का बागवानी से गहरा संबंध रहा हैं, क्योंकि जंगलों में प्रवास के दौरान महाराणा प्रताप ने कंद मूल खाएं, जो नेचुरल हॉर्टिकल्चर ही थी। उस समय महाराणा प्रताप ने खाद्य और पोषण के रूप में प्रयोग किया।
उन्होंने कहा कि हल्दी घाटी का युद्ध जहां हुआ था, वहां की मिट्टी पीले रंग की हैं, जो उसका नेचुरल रंग हैं। आज की तिथि में दमिश्क रोज, देसी किस्में का गुलाब वहीं से निकला हैं, पूरे देश में देसी गुलाब वहीं से जाता हैं, जिससे उसका सीधा संबंध बागवानी से हैं। हल्दी घाटी को बागवानी को जोड़े ऐसी और भी ऐसी चीजें हैं, वे काफी फेमस हैं। वहां पर सौंफ व जीरा ही खेती काफी होती थी।
एमएचयू के मशरूम विशेषज्ञ डॉ. अजय सिंह व उनकी टीम द्वारा बटन मशरूम की 2 नई किस्मों को ईजाद किया है। जल्द ही दोनों किस्मों को एमएचयू द्वारा रिलीज किया जाएगा।