हरिद्वार। एक्शन इंडिया न्यूज
महर्षि धन्वन्तरि जयन्ती के अवसर पर पतंजलि योगपीठ-1, स्थित यज्ञशाला में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां यज्ञ में आहुति देकर संम्पूर्ण राष्ट्र व विश्व की शान्ति की मंगलकामना की गई।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जीवन में जो हमारी देह है वह देह जब तक बहुत सारी प्रतिकुलताओं को विषम परिस्थितियों को जहरीली चीजों को सहने की सामर्थ्य नहीं प्राप्त कर लेती, तब तक किसी भी तरह के गुणों को ग्रहण करने की सामर्थ्य नहीं जुटा सकती।
यदि आपको शक्तिशाली होना है, बलशाली होना है, विद्याशाली होना है तो विष रूपी रत्न को अपने शरीर पर धारण करने की सामर्थ्य होनी चाहिए, ताकि विष भी आपके लिए रत्न का काम करें।
आचार्य बालकृष्ण ने धन्वन्तरि जयन्ती पर घोषणा करते हुए कहा कि बहुत जल्द 1000 टन की विशालकाय ग्रेनाइट की 62 फीट ऊंची धन्वन्तरि की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है, जो अगले वर्ष धन्वन्तरि दिवस से पहले बनकर तैयार हो जायेगी।
इसके साथ-साथ आयुर्वेद के क्षेत्र में जितने भी ऋषि-महर्षियों ने अपना योगदान दिया है, उन सभी ऋषि-महर्षियों की, पाषाण की प्रतिमाओं का गढ़ने का कार्य पतंजलि द्वारा किया जा रहा है, इसके अतिरिक्त प्राचीन जड़ी-बूटी चिकित्सा पद्धति से जुडे़ जितने भी आचार्य व जो भी हिलर्स हुए है उन सभी हिलर्स की प्रतिमाओं को गढ़ने का कार्य भी पतंजलि द्वारा किया जा रहा है, ताकि भविष्य में भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़ सके तथा इन महापुरुषों को देखकर अपनी प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पर गर्व कर सके।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. महावीर, डॉ. अनिल, डॉ धनराज, प्रो. पीसी मंगल, प्रो. श्रीकान्त, स्वामी अर्षदेव, देवश्रुति एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।