हिमाचल प्रदेश

मंडी: सुंदरनगर की सुनीता देवी ने लिखी कामयाबी की इबारत

टीम एक्शन इंडिया/ मंडी/ खेमचंद शास्त्री
कवि सोहन लाल द्विवेदी की लिखी कविता कि यह पंक्तियां ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होतीझ् मंडी जिला के सुंदरनगर के भरज्वाणु की सुनीता देवी पर पूरी तरह से फिट बैठती हैं। पति के अकसर बीमार रहने और खेती लायक जमीन न होने पर अपने घर की छत पर पनीरी उगाने का कार्य शुरू करने वाली सुनीता देवी एक साल में तीन से साढे तीन लाख रुपये की कमाई कर रही है। सुनीता देवी पनीरी उगाने के साथ लीज पर ली गई भूमि पर प्राकृतिक तरीकों से सब्जियों का भी उत्पादन कर रही है।सुनीता देवी केवल पांचवी पास है और आज वह छत पर पनीरी उगाने का कार्य करने पर देशभर में नाम कमा रही है। उन्हें नाचन जनकल्याण सेवा समितिए कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति ने उनके घर आकर सम्मानित करचुके हैं वहीं केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने भी महिला किसान दिवस के अवसर पर सुनीता के साथ वर्चुअली बातचीत कर उनके सराहनीय कार्य के लिए तारीफ की है। कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कृषि शिक्षण संस्थानों के बच्चे सुनीता देवी के पास प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। अब तक वह 300 से अधिक बच्चों को प्राकृतिक खेती और छत पर पनीरी के बारे में प्रशिक्षण दे चुकी हैं। छत पर पनीरी उगाने के कार्य को लेकर सुनीता देवी इलाके के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन कर उभरी है। उन्होंने साबित करके दिखा दिया है कि मजबूत इच्छाशक्ति से हजारों मुश्किलों से पार पाया जा सकता है और कामयाबी की इबारत लिखी जा सकती हैं।

सुनीता देवी का कहना है कि पति के अकसर बीमार रहने और खेती लायक जमीन न होने पर घर की छत पर पनीरी उगा कर आय का सहारा बनाने के बारे में सोचा। जिससे कि वह घर पर रहकर अपने बीमार पति का भी ख्याल रख पाएगी। इसके साथ ही पनीरी को उगाने के लिए जमीन की भी जरूरत नहीं होगी। इसके लिए उन्होंने घर की छत पर लकड़ी के बाक्स बनाकर उसमें विभिन्न सब्जियों की नर्सरी तैयार की और बाजार में बेचना शुरू किया। इससे सुनीता देवी को एक लाख तक की कमाई होने लगी। सुनीता देवी छत पर गोभी, बंद गोभी, ब्रोकली, घीया, करेला, खीरा, प्याज आदि के पनीरी उगाती है और बाजार में बेचती है। गांव के लोग उनसे घर पर आकर ही पनीरी ले जाते हैं और इस तरीके को भी सीखते हैं। सुनीता देवी ने पनीरी को उगाने के कार्य में सफलता मिलने पर सरकार की सहायता से प्राकृतिक खेती करने की सोची। इसके लिए उन्होंने जमीन लीज पर लेकर खेती शुरू कर दी। सुनीता देवी का कहना है कि पनीरी बेचकर और प्राकृतिक खेती करके वह तीन से साढ़े तीन लाख रुपये सालाना की आय अर्जित कर रही है।

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