हरियाणा

मनुष्य का सारा जीवन मिट्टी पर निर्भर : डॉ. विजय अरोड़ा

करनाल/टीम एक्शन इंडिया

महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय द्वारा कुलपति सुधीर राजपाल के निर्देशन में अनुसंधान निदेशक प्रो. रमेश गोयल की देखरेख में गांव अंजनथली में विश्व मृदा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में गांव व आसपास के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। डीएसडब्ल्यू प्रो. रंजन गुप्ता ने विश्व मृदा दिवस क्यों शुरू हुआ और आम जीवन में मृदा की क्या जरुरत है? इस बारे में विस्तार से जानकारी दी।  मृदा वैज्ञानिक डॉ. विजय अरोड़ा ने बताया कि मनुष्य का सारा जीवन मिट्टी पर निर्भर है। संपूर्ण पशु जगत का भोजन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मृदा से प्राप्त होता है। जिस तरह पानी के बिना जीवन की कल्पना मुमकिन नहीं, ठीक उसी तरह मिट्टी का भी महत्व है। भारत का तो आधी आबादी ही कृषि पर निर्भर है। लेकिन खेतों में किसानों द्वारा बहुत ज्यादा केमिकल्स वाले खाद और कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आ रही है।

जो खाद्य सुरक्षा, पेड-पौधों के विकास, कीड़ों और जीवों के जीवन और आवास व मानव जाति के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में मिट्टी का संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मृदा दिवस का विषय मिट्टी और पानी जीवन का एक स्त्रोत है। बढ़ती हुई आबादी, औद्योगिकरण, सघन तथा अविज्ञानी कृषि से मृदा स्वास्थ्य में बहुत गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भूमि में रासायनिक उर्वरक के अलावा गोबर की खाद, हरी खाद, कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, बॉयो फर्टिलाइजर, बॉयो गैस स्लरी व पोल्ट्री मनोर आदि का प्रयोग करें। इससे भूमि में जैविक की वृद्धि होगी और भूमि में रासायनिक, भौतिक व जैविक शक्ति का निर्माण होगा।

डॉ. पंकज बोदला ने फसलों में बीमारी को रोकने के लिए जैविक नियंत्रण पर जोर दिया, जिससे फफूंदनाशकों पर निर्भरता कम हो सकें। डॉ. गौरव सिंह ने फसलों में एकीकृत कीट प्रबंधन से होने से फसलों को हानिकारण कीटों से बचाव के बारे में बताया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button