
‘केजरीवाल की हठधर्मी के चलते निगम के कई कार्य हुए ठप्प’
टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली की महापौर डा. शैली ओबरॉय के इस्तीफे की मांग की है और कहा है की यह खेदपूर्ण है की दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक हठधर्मी के चलते अब निगम की अति आवश्यक ठप्प होने की कगार पर पहुंच गई है मुख्यमंत्री के निगम स्थाई समिति चुनाव में हार के भय के चलते दिल्ली नगर निगम की संवैधानिक स्थाई समिति, वार्ड समितियों एवं अन्य समितियों का गठन 19 माह से नहीं हो पा रहा है। कपूर ने कहा है की इस राजनीतिक हठधर्मी के चलते नगर निगम के माध्यम से होने वाले अनेक सार्वजनिक हित के कार्य ठप्प पड़े हैं क्योंकि उनके टेंडर एवं प्रशासनिक स्वीकृति नहीं हो पा रहे हैं। अभी तक जो काम नहीं हो पा रहे हैं उनमे से अधिकांश एक दम सीधा प्रभाव दिल्ली वालों के जनजीवन पर नही डालते हैं।
पर अब अगले कुछ दिनों में जहाँ नगर निगम के मध्य क्षेत्र के इलाके की सड़कों से कूड़ा उठना बंद हो जायेगा तो वहीं अगस्त मध्य से दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट से कूड़ा निस्तारण के लिए आवश्यक बायो माइनिंग का काम बंद हो जायेगा। भाजपा प्रवक्ता ने कहा है की केजरीवाल की राजनीतिक हठधर्मी के चलते 25 जुलाई से दरियागंज से बदरपुर और लोधी रोड़ से साऊथ एक्स तक पूरा मध्य एवं नई दिल्ली का क्षेत्र कूड़ा घर में बदल जायेगा क्योंकि उस दिन से नगर निगम का मध्य क्षेत्र का कूड़ा उठाने का ठेकेदार विस्तारित कांट्रैक्ट तक खत्म हो जाने के कारण कूड़ा उठाना बंद कर देगा। कल्पना कीजिए 25 जुलाई से भारत मंडपम प्रगति मैदान, सुंदर नगर, निजामुद्दीन, लाजपत नगर, डिफेंस कॉलोनी, साऊथ एक्स, फ्रेंड्स कालोनी, सरिता विहार जैसे पोश इलाकों के साथ ही दरियागंज, बदरपुर, संगम विहार, गोविंदपुरी, ओखला आदि में हर ओर कूड़ा ही कूड़ा दिखेगा।
इसी तरह अगस्त के मध्य से दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट के बायो माइनिंग कार्य का ठेका भी खत्म हो जायेगा और वहाँ से कूड़ा निस्तारण भी बंद हो जायेगा। दिल्ली भाजपा प्रवक्ता ने कहा है की अब अवैध रूप से पद पर बनीं महापौर डा. शैली ओबरॉय को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नही बचा है।
कानून अब मध्य क्षेत्र का कूड़ा निस्तारण कांट्रेक्ट आगे नही बढ़ सकता और अब एक ही हल है की डा. ओबरॉय या तो केजरीवाल सरकार से विशेष फंड ला कर कांट्रैक्टर को अग्रिम भुगतान करायें या इस्तीफा दें।