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मनरेगा की मजदूरी बढ़ी, 14 करोड़ से अधिक लोगों को होगा फायदा, UP में सबसे कम बढ़ी दिहाड़ी

नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने मनरेगा (MGNREGA) के तहत मिलने वाली मजदूरी का रेट बढ़ा दिया है। फाइनेंशियल ईयर 2025 के लिए इस योजना के तहत मजदूरी में औसतन 28 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। फाइनेंशियल ईयर 2025 में यह औसतन 289 रुपये है जबकि पिछले फाइनेंशियल ईयर में इसका औसत 261 रुपये था। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस बारे में एक अधिसूचना जारी की है। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा योजना में 14.34 करोड़ एक्टिव वर्कर्स हैं। मनरेगा का मकसद ग्रामीण इलाकों में लोगों को साल में कम से कम 100 दिन का काम मुहैया कराना है। मनरेगा मजदूरों के लिए नई वेतन दरें 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगी।

नोटिफिकेशन के मुताबिक हरियाणा में मनरेगा की दर सबसे अधिक है। यहां इस योजना के तहत रोजाना 374 रुपये मिलेंगे। इसके बाद गोवा का नंबर है। इस राज्य में मनरेगा की मजदूरी दरों में 10.6 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। गोवा में इसमें 34 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। कर्नाटक में रोजाना मजदूरी में 33 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। गोवा में अब मनरेगा में रोजाना 356 रुपये और केरल में 346 रुपये मजदूरी मिलेगी। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 2023-24 की तुलना में 2024-25 के लिए मजदूरी दर में सबसे कम 3 फीसदी का इजाफा हुआ है। इन दोनों राज्यों में मनरेगा की मजदूरी में केवल सात रुपये की बढ़ोतरी की गई है। 21 राज्यों में मनरेगा की मजदूरी में 10 से 20 रुपये की बढ़ोतरी की गई है।

चुनाव आयोग से अनुमति

सूत्रों के मुताबिक ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के तहत मजदूरी की नई दरों को नोटिफाई करने से पहले चुनाव आयोग से इसकी इजाजत मांगी थी। इसकी वजह यह है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस वक्त पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू है। आयोग से हरी झंडी मिलने के बाद ही मंत्रालय ने तुरंत बढ़ी हुई मजदूरी का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। संसद में हाल में पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मनरेगा के तहत दी जा रही मजदूरी पर्याप्त नहीं है। अनूप सतपथी कमिटी ने मनरेगा के तहत रोजाना 375 रुपये मजदूरी देने की सिफारिश की थी।

मनरेगा की शुरुआत साल 2005 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने की थी। यह दुनिया की सबसे बड़े रोजगार गारंटी योजनाओं में से एक है। इसमें ग्रामीण इलाकों में छोटे-मोटे विकास के काम कराए जाते हैं। इनमें गड्ढे खोदने से लेकर नाली बनाने जैसे काम शामिल हैं। योजना के तहत एक साल में 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी मिलती है। कोरोना काल में लोगों के इससे बड़ी राहत मिली थी। फाइनेंशियल ईयर 2020 से 2023 तक इसके बजट में लगातार बढ़ोतरी हुई। फाइनेंशियल ईयर 2024 में इसका अनुमानित बजट 86,000 करोड़ रुपये का है। 2025 के लिए इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

1 अप्रैल से लागू होंगी नई दरें
PM Modi के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले वित्त वर्ष 2023-25 के लिए मजदूरी की दर में ये बढ़ोतरी 1 अप्रैल, 2024 से लागू होगी. सरकारी नोटिफिकेशन पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में मजदूरी दर में सबसे कम 3 फीसदी का इजाफा किया गया है, जबकि गोवा (Goa) में सबसे ज्यादा 10.6 फीसदी मजदूरी दर बढ़ाई गई है.

साल 2005 में की गई थी शुरुआत
मनरेगा (MGNREGA) प्रोग्राम की शुरुआत साल 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी. ये रोजगार गारंटी योजना हैं और इसके तहत सरकार ने एक न्यूनतम वेतन तय करती है, जिस पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को काम पर रखा जाता है. इसमें तालाब, गड्ढे खोदने से नालियां बनाने तक के काम शामिल होते हैं. इसमें सालभर में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है.

बजट के दौरान किया था ये ऐलान
बीते 1 फरवरी 2024 को संसद में पेश किए गए नरेंद्र मोदी सरकार के अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने मनरेगा का बजट (MGNREGA Budget) को बढ़ाने का ऐलान किया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने भाषण के दौरान कहा था, कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मनरेगा बजट अनुमान को बढ़ाकर 86,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, इससे पहले  वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मनरेगा का बजट अनुमान 60,000 करोड़ रुपये था.

बीते साल राजस्थान में हुआ था सबसे ज्याद इजाफा
गौरतलब है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत मजदूरी की दरों में संशोधन को लेकर बीते साल 24 मार्च 2023 को नोटिफिकेशन जारी किया था. उस समय मजदूरी की दरें 7 रुपये से लेकर 26 रुपये तक संशोधित की गई हैं. बीते साल के नोटिफिकेशन के मुताबिक, मजदूरी की दरों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी राजस्थान में की गई थी और यहां पर संशोधित वेतन 231 रुपये से बढ़ाकर 255 रुपये प्रति दिन कर दिया गया था.

रिपोर्ट्स की मानें तो चालू वित्त वर्ष के दौरान, असमान मानसून के कारण मनरेगा के तहत रोजगार की मांग में इजाफा देखने को मिल रहा है. इस लिहाज से लोकसभा चुनावों के ऐन पहले सरकार का मजदूरी बढ़ाने का ये फैसला मनरेगा से जुड़े करोड़ों लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा है.

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