राजनीतिक

RSS के इशारों पर चल रही मोदी सरकार, सोनिया गांधी की NAC पर सफाई

नईदिल्ली

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) को लेकर सोनिया गांधी ने कहा है कि यह कोई दूसरा पावर सेंटर नहीं था बल्कि प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली एक समिति मात्र थी। सोनिया गांधी ने एक आने वाली किताब के लेख में एनएसी को लेकर सफाई दी है तो वहीं मौजूदा एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बता दें कि सोनिया गांधी पर आरोप लगते रहे हैं कि वह एनएसी की अध्यक्ष रहते हुए मनमोहन सिंह की सरकार के अहम निर्णय लेती थी। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार खुल्लमखुल्ला आरएसएस से निर्देश लेकर काम कर रही है। आरएएस ना तो विश्वसनीय है और ना ही जनता ने उसे चुना है। 

'एन्हैंसिंग पीपल्स राइट ऐंड फ्रीडम- NAC रीविजिटेड' नाम के लेख में सोनिया गांधी ने लिखा, बड़ी विडंबना है कि एनएसी को अपमानित किया गया लेकिन मौजूदा एनडीए सरकार लगातार अपनी नीतियों को लेकर निर्देश आरएसएस से लेती है। 2015 में केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी नीतियों का पूरा खाका प्रजेंट किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे मार्गदर्शन नाम दिया था। उन्होंने लिखा कि एनएसी की भूमिका बहुत ही सीमित थी। यह केवल प्रधानमंत्री को सुझाव दिया करती थी बाकी फाइनल फैसला प्रधानमंत्री और सरकार ही लिया करती थी। 

उन्होंने कहा कि जब एससी और एसटी के लिए अलग से बजट बनाने और गैरसंगठित क्षेत्र के लिए सोशल सिक्योरिटी का फ्रेमवर्क बनाने का सुझाव एनएसी ने दिया था तो इसे लागू नहीं किया गया ता। उन्होंने लिखा, एनएसी कोई भी कार्यकारी फैसला लेने में शामिल नहीं रहता था। बहुत सारे ऐसे सुझाव दिए गए जिन्हें कभी लागू नहीं किया गया। यह केवल अडवाइजरी रोल में ही थी। सोनिया गांधी ने कहा कि एनएसी को लेकर इस तरह की बातें इसलिए भी की गईं क्योंकि इसकी अध्य़क्ष उस वक्त कांग्रेस की भी अध्यक्षी थीं। 

राष्ट्रीय योजना आयोग की बात करते हुए गांधी ने कहा, 1038 में ही तब के कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस ने फैसले लेने की संस्था का विकेंद्रीकरण करने के लिए एनएसी जैसी बॉडी बनाई ती। उन्होंने कहा कि अब की एनडीए  सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालय केवल रबर स्टैंप बनकर रह गए हैं। संसदीय लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। उन्होंने एनएसी की सफलताओं की लिस्ट बता ते हुए कहा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, वन अध्कीर कानून 2006 जैसे कानून एनएसी की सलाह के बाद बने थे। 

उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने 2014 से लेकर 2019 तक 186 बिल पेश किए जिनमें से 142 पर कोई सलाह नहीं ली गई। केवल 44 बिलों को जनता के सुझाव के लिए रखा गया। इसके लिए भी केवल 30दिनों का समय दिया गया था। जनता को फैसले लेने के अधिकार और सलाह देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। नागरिकों और सरकार के बीच का संबंध एकतरफा हो गया है। 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/ metro.jrs.or.id sim.kotaprabumulih.go.id web.sip.pn-kotaagung.go.id