खेल-खिलाड़ी

मेरा लक्ष्य कड़ी मेहनत करके राष्ट्रीय टीम में जगह बनाना: अमरिंदर सिंह

नई दिल्ली
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) 2023-24 सीजन का आखिरी अंतरराष्ट्रीय ब्रेक जारी है क्योंकि भारत इस महीने फीफा वर्ल्ड कप 2026 क्वालीफायर में अफगानिस्तान के खिलाफ दो मुकाबले खेल रहा है। भारतीय टीम चतुष्कोणीय प्रतियोगिता में जगह बनाने के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही है, लिहाजा ओडिशा एफसी के गोलकीपर अमरिंदर सिंह ब्लू टाइगर्स में अपना स्थान बनाने के लिए उत्सुक होंगे। साल 2017 में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने के बाद से अमरिंदर ने सीनियर भारतीय टीम के लिए 13 मुकाबले खेले हैं। वह वर्षों से भरोसेमंद नंबर दो गोलकीपर रहे हैं। उनके नाम आईएसएल 2023-24 सीजन में अब तक सबसे अधिक आठ क्लीन शीट है, और राष्ट्रीय टीम के लिए अधिक मजबूती के साथ अपनी भूमिका निभाने पर उनकी नजर है।

अमरिंदर ने लीग को दिये एक साक्षात्कार में राष्ट्रीय टीम में गोलकीपिंग स्थान के लिए अपनी आकांक्षाओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा, "मेरा लक्ष्य खुद को बेहतर बनाना, कड़ी मेहनत करना और टीम में जगह बनाना है। हर खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का सपना देखता है।" पंजाब के माहिलपुर में जन्में अमरिंदर पिछले दशक से शीर्ष स्तर पर खेल रहे हैं। भारतीय फुटबॉल में उनका सफर आईएसएल का पर्याय बन गया है। इस गोलकीपर ने पुणे एफसी के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। वह आईएसएल में ओडिशा एफसी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और इससे पहले वह बेंगलुरू एफसी, मुम्बई सिटी एफसी और मोहन बागान सुपर जायंट जैसे नामी क्लबों के लिए खेल चुके हैं।

उन्होंने साल 2020-21 में मुम्बई सिटी एफसी के कप्तान के रूप में लीग डबल किया था और उससे पहले उन्होंने बेंगलुरू एफसी के साथ आई-लीग और फेडरेशन कप जीता था। अमरिंदर ने पिछले सीजन में ओडिशा एफसी के साथ सुपर कप भी जीता था और इस दौरान गोल्डन ग्लव अवार्ड भी अपने नाम किया था। एक साधारण पृष्ठभूमि से यहां तक आने के बाद, अमरिंदर जीवन में पूर्व आई चुनौतियों पर बहुत विस्तार से बात करते हैं, जैसे कि किस तरह से आईएसएल फुटबॉल को बतौर करियर अपनाकर युवा भारतीय फुटबॉलरों के सपने पूरे कर रहा है और उनके माता-पिता की वित्तीय रूप से मदद कर रहा है।

अमरिंदर ने कहा, "हम अपने गांवों की संकरी गलियों में खेलते हुए बड़े हुए हैं। मेरे घर में ऐसी कोई गेंद नहीं बची है जिसे मैंने लात मारकर न तोड़ा हो। बेशक, यह महत्वपूर्ण है कि बतौर युवा, आपको कड़ी मेहनत करनी होगी और धीरे-धीरे उन विकल्पों और प्लेटफार्मों का पता लगाना होगा जो आपके करियर को आगे बढ़ने का मौका देते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "बचपन में आप पैसे के बारे में नहीं सोचते। लेकिन आगे चल कर, आपको अपने परिवार का ध्यान रखना होता है। इस पहलू पर आईएसएल से हमें काफी सुधार मदद मिली है। जब मैं आईएसएल में एकेडमी के बच्चों को देखता हूं, तो सभी माता-पिता मानते हैं कि फुटबॉल में भी भविष्य है और यह एक ऐसा बदलाव है जो बहुत मायने रखता है। अधिकतर माता-पिता जानते हैं कि यदि उनके बच्चे क्रिकेट नहीं खेलते हैं, तो वे फुटबॉल खेल सकते हैं, और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।"

साल 2015 से आईएसएल से जुड़े रहने के कारण, अमरिंदर लीग द्वारा खिलाड़ियों को प्रदान किए गए विदेशी अनुभव के शुरुआती लाभार्थियों में से एक रहे हैं। ओडिशा एफसी के अर्जेंटीनी गोलकीपिंग कोच मनु पैट्रिकियो की विशेषज्ञता अमरिंदर के लिए फायदेमंद रही है। इसी तरह, जब 2020-21 में मुम्बई सिटी एफसी के आईएसएल लीग विनर्स शील्ड और आईएसएल ट्रॉफी दोनों खिताब जीतने के दौरान अमरिंदर को तब स्पेनिश गोलकीपिंग कोच जुआनमा क्रूज की विशेषज्ञता का लाभ मिला। उनका का दावा है कि उन्होंने इन विदेशी कोचों से रणनीतिक पहलुओं को लेकर काफी कुछ सीखा है।

उन्होंने कहा, "जब आपके पास अच्छे कोच और खिलाड़ी होते हैं, तो वे आपकी बहुत मदद करते हैं। शुरुआती कुछ सीजनों में, हमारे पास विदेशी गोलकीपर हुआ करते थे, हमें उनसे जानकारी और टिप्स मिले। उन्होंने हमारी बहुत मदद की, जो बहुत महत्वपूर्ण थी।" भारतीय टीम के वर्ल्ड कप क्वालीफायर मुकाबलों के बाद, आईएसएल अंतरराष्ट्रीय ब्रेक पूरा करके 30 मार्च, 2024 को एक्शन में लौट आएगा।

 

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