
बिहार में वोटर लिस्ट से नाम गायब? एक महीने में कर सकेंगे सुधार, EC देगा मौका
पटना
बिहार में चल रहे गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) में, 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में सभी पात्र मतदाताओं को शामिल करना सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों को तेज कर दिया गया है.
इस बीच निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर आदेश के पेज 3 पैरा 7(5) के अनुसार, किसी भी मतदाता या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक एक महीने का समय मिलेगा, ताकि यदि बीएलओ/बीएलए द्वारा किसी पात्र मतदाता का नाम छोड़ दिया गया हो, तो उसे शामिल किया जा सके.
यदि बीएलओ/बीएलए द्वारा किसी मतदाता का नाम गलत तरीके से शामिल किया गया हो, तो उसे मतदाता सूची से बाहर रखा जा सके. यानी किसी भी योग्य मतदाता का नाम जोड़ने और अयोग्य मतदाता का नाम हटवाने या राजनीतिक पार्टियों की शब्दावली में कटवाने के लिए महीने भर का समय है. यानी राजनीतिक पार्टियां और आम मतदाता भी मसौदा सूची यानी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण एक महीने में कर सकेंगी.
चुनाव आयोग ने सियासी दलों संग साझा किया डेटा
आपको बता दें कि 20 जुलाई 2025 को, एसआईआर के पहले चरण में अब तक फॉर्म न भरने वाले और गलत तरीके से सूची में शामिल मतदाताओं की जानकारी, बिहार के 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के ज़िला अध्यक्षों द्वारा नामित 1.5 लाख बीएलए के साथ साझा कर दी गई है. यह पारदर्शिता और सहभागिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
बिहार के जो मतदाता इस समय अस्थायी रूप से राज्य के बाहर रह रहे हैं और किसी अन्य स्थान पर वोटर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वे https://voters.eci.gov.in या ECINet ऐप के जरिए ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं. इसके अलावा, वे प्रिंटेड फॉर्म भरकर या तो परिवार के ज़रिए बीएलओ को सौंप सकते हैं या व्हाट्सएप के माध्यम से भेज सकते हैं.
1 सितंबर तक आपत्ति या दावा का मौका
1 अगस्त को ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद, कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल 1 सितंबर 2025 तक विधानसभा क्षेत्र के संबंधित ERO/AERO के पास आपत्ति दर्ज करा सकता है. यदि किसी योग्य मतदाता का नाम छूट गया है, तो वह दावा प्रस्तुत करके शामिल होने की मांग कर सकता है.
बिहार में वोटर लिस्ट से कट जाएंगे 52 लाख मतदाताओं के नाम!
बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत वोटर लिस्ट से 52 लाख मतदाताओं का नाम कटना तय माना जा रहा है। चुनाव आयोग ने एसआईआर के ताजा आकंड़े जारी किए हैं। आयोग ने 52.30 लाख मतदाताओं की लिस्ट साझा की है, जो कथित तौर पर मृत हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं या कई स्थानों पर नामांकित हैं। जिसमें 18 लाख 66 हजार 869 मतदाताओं के मृत होने की सूचना है।
26 लाख 1031 ऐसे मतदाता हैं जो दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं। 7 लाख 50 हजार 742 ऐसे वोटर हैं, जो एक से ज्यादा जगह नामांकित हैं। 11 हजार 484 ऐसे मतदाता है। जिनका कोई पता नहीं है। अपने पते पर नहीं मिलने वाले ऐसे मतदाता कुल 6.62 फीसदी हैं।
24 जून 2025 तक कुल वोटर 7,89,69,844 में 90 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं को गणना पपत्र मिल चुके हैं। जिनकी संख्या 7,16,04102 है, वहीं 90.37 फीसदी यानी 7,13,65,460 रिवीजन फॉर्म ऑनलाइन जमा हो चुके हैं। सिर्फ 2.70 फीसदी लोगों के ही फॉर्म जमा नहीं हुए हैं। कुल 97.30 फीसदी वोटर एसआईआर में कवर हुए हैं।
बिहार में चल रहे एसआईआर में यह सुनिश्चित करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं कि सभी पात्र मतदाताओं को 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल किया जाए। बिहार के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नियुक्त लगभग 1 लाख बीएलओ, 4 लाख स्वयंसेवक और 1.5 लाख बीएलए सहित पूरी चुनाव मशीनरी उन मतदाताओं की तलाश में एक साथ काम कर रही है। जिन्होंने अभी तक अपने गणना प्रपत्र (ईएफ) जमा नहीं किए हैं या अपने पते पर नहीं पाए गए हैं।
सीईओ/डीईओ/ईआरओ/बीएलओ ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की हैं और उन 21.36 लाख मतदाताओं की विस्तृत सूची साझा की है जिनके प्रपत्र अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। 24 जून 2025 के एसआईआर आदेश के अनुसार, 1 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक, किसी भी आम आदमी को ड्राफ्ट मतदाता सूची में आपत्ति दर्ज कराने के लिए एक महीना का समय उपलब्ध होगा।
7 लाख फर्जी मतदाता और 20 लाख की हो चुकी मौत
बिहार में विधानसभा के चुनाव इसी साल के अंतिम महीनों में होने वाले हैं। इससे पहले चुनाव आयोग (ईसी) प्रदेश में मतदाता सूची को दुरुस्त कर लेना चाहता है। यही वजह है कि वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है।
इस क्रम में चुनाव आयोग ने बुधवार को बिहार में मतदाता सूची को लेकर ताजा जानकारी साझा की है। अपने एक्स हैंडल पर आयोग ने एक पोस्ट में यह जानकारी दी है। आयोग ने इसमें खुलासा किया है कि 23 जुलाई तक अब तक 98.01 प्रतिशत मतदाताओं के नाम इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में शामिल किए जा चुके हैं।
चौंका रही आयोग की ये जानकारी
आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मतदाता सूची संशोधन के क्रम में करीब 20 लाख मृत मतदाताओं की पहचान की गई है। इसके अलावा लगभग 28 लाख ऐसे मतदाता भी हैं, जो कि अपने पहले पंजीकृत किए गए स्थानीय पते से स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं।
आयोग ने यह भी जानकारी दी है कि बिहार में करीब 7 लाख मतदाता ऐसे हैं, जो कि एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं। 1 लाख वोटर को आयोग ने लापता के रूप में चिह्नित किया है। वहीं, करीब 15 लाख मतदाता फॉर्म आयोग के पास वापस नहीं आए हैं।
चुनाव आयोग ने इसके साथ यह भी बताया है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान 7.17 करोड़ मतदाता फार्म, जो कुल का लगभग 90.89% हैं, उसे प्राप्त हुए हैं। इन फार्म का डिजिटलीकरण भी आयोग की ओर से किया गया है।
22 साल बाद हो रहा वोटर लिस्ट का रिवीजन
बता दें कि बिहार में बीते 22 सालों में ये पहली बार है, जब इस तरह से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है।
इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को दुरुस्त करना, साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाना है। इसके माध्यम से अयोग्य, डुप्लिकेट/फर्जी या गैर-मौजूद प्रविष्टियों को हटाया जाना है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि केवल सभी पात्र नागरिक ही इसमें शामिल हों।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
बता दें कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के 24 जून को दिए गए इससे संबंधित निर्देशों पर सवाल उठाए हैं। आयोग ने बिहार से शुरुआत करते हुए देशव्यापी एसआईआर शुरू करने का निर्देश दिया था।
बहरहाल, चुनाव आयोग ने कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामे में अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाकर चुनाव में पारदर्शिता बढ़ाती है।