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नरेला: ऐतिहासिक भूमि लैंडफिल साइट मेंतब्दील, प्रशासन की लापरवाही
टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: उत्तरी बाहरी दिल्ली के नरेला में पाना पपोसिया स्थित ऐतिहासिक 84 बीघा जमीन पर सालों पहले स्टेडियम बनाने की योजना बनाई गई थी। वह परवान न चढ़ सकी तो योजना में परिवर्तन कर पार्क, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने की योजना बनाई गई, लेकिन दिल्ली विकास प्राधिकरण की लापरवाही के चलते वह योजना भी अधर में लटक गई।
आलम यह है कि अब इस ऐतिहासिक भूमि पर स्थानीय लोग कूड़ा डाल रहे हैं। जिससे यह भूमि लैंडफिल साइट में तब्दील होती जा रही है। वहीं कूड़े के ढेर पर दिन भर आवारा मवेशियों का जमवाड़ा लगा रहता है जो आए दिन राहगीरो पर हमला कर रहे हैं। स्थानीय निवासी सुरेंद्र महरौलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि इतिहास में इस बात का उल्लेख है कि इस जमीन पर चंद नाम के राजा ने तालाब का निर्माण कराया था। राज परिवार इस तालाब का इस्तेमाल जल क्रीड़ा के लिए करता था।
11वीं शताब्दी में बने इस 7 मीटर गहरे तालाब में कभी सुरंग के जरिए पानी आता था। इसके चारों ओर बने सुंदर घाट लोगों को आकर्षित कर लेते थे। प्राचीन तालाब की दीवारें सोने चांदी के सिक्कों से जड़ी थी इन दीवारों से वर्ष 1996 तक मुगलकालीन सिक्के निकले हैं।
सिक्के सुरक्षित रहे इसलिए उन्हें पुरातत्व विभाग को सौप जाता रहा, सिक्कों को तो पुरातत्व विभाग ने अपने पास रख लिया लेकिन तालाब के संरक्षण की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। डीडीए लापरवाही से तालाब अपना वजूद खो चुका है। अब धीरे-धीरे यह ऐतिहासिक जमीन लैंडफिल साइट में तब्दील होती जा रही है। डीडीए की इस भूमि के तीनों और स्कूल, बाल व वृद्ध आश्रम है तो एक तरफ घनी आबादी क्षेत्र है।
यहां डाले जा रहे कूड़े के ढेर से आ रही दुर्गंध से स्कूली बच्चों, पैदल राहगीरों व स्थानीय निवासियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। स्थानीय निवासी सुरेश ने बताया कि बार-बार शिकायतों के बाद समय-समय पर सीएम आॅफिस की ओर से नगर निगम डीडीए को भी लिखित में सफाई व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय लोगों की मांग है कि इस जमीन पर पार्क, स्पोर्ट्स कांपलेक्स बनाया जाए। ताकि लोगों को इस लैंडफिल साइड से राहत मिल सके।